बिरनपुर सांप्रदायिक हिंसा मामले में धारा बढ़ाने को सीबीआई के आवेदन पर 19 नवंबर को फैसला

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सीबीआई वकील ने कहा कि 6 नए आरोपितों के नाम आने के बाद कई नए तथ्य सामने आए हैं, इसलिए धारा बढ़ाई जाए। वहीं, बचाव पक्ष ने कहा कि धारा बढ़ाए जाने का औचित्य ही नहीं है।

ढाई साल बाद मामले का पहला गवाह के रूप में हिंसा में मारे गए भुनेश्वर साहू का बड़ा भाई भागीरथी साहू पहुंचे थे, लेकिन लेकिन गवाही टल गई थी। क्योंकि मामले की जांच कर रही एजेंसी सीबीआई ने कोर्ट में आवेदन लगाकर जानकारी दी कि जांच में कई ऐसे गंभीर तथ्य आए है जिसके लिए धाराएं बढ़ाना जरूरी हो गया है।

उल्लेखनीय है कि 8 अप्रैल 2023 को बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में दो बच्चों के बीच हुई मामूली झड़प ने बड़ा रूप ले लिया था। देखते ही देखते मामला हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा में बदल गया। इस दौरान साजा के मौजूदा भाजपा विधायक ईश्वर साहू के पुत्र भुनेश्वर साहू (22वर्ष ) की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।

घटना के बाद 10 अप्रैल को विश्व हिंदू परिषद ने छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया। हिंसा के दौरान रहीम (55वर्ष ) और उनके पुत्र ईदुल मोहम्मद (35वर्ष ) की भी हत्या कर दी गई थी। प्रशासन ने तत्काल धारा 144 लागू कर गांव में कर्फ्यू लगा दिया था, जो करीब दो सप्ताह तक जारी रहा।

पुलिस ने शुरुआती जांच में 12 लोगों को आरोपित बनाया था, लेकिन सीबीआई की जांच में 6 नए नाम शामिल किए गए हैं।सीबीआई ने 30 सितंबर 2025 को दाखिल अपनी चार्जशीट में बड़ा खुलासा किया है। सीबीआई ने इस मामले को ‘सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील और योजनाबद्ध हिंसा’ के रूप में प्रस्तुत किया है। वहीं, बचाव पक्ष का कहना है कि आरोप राजनीतिक दबाव में लगाए गए हैं और घटना के वास्तविक कारणों की जांच निष्पक्ष रूप से की जानी चाहिए। एजेंसी ने स्पष्ट किया कि यह कोई राजनीतिक साजिश नहीं थी, जैसा कि विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा। चार्जशीट में पूर्व विधायक अंजोर यदु का नाम शामिल नहीं किया गया, जबकि मृतक के पिता ईश्वर साहू उनकी भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं।