बताया जाता है कि स्थानीय ग्रामीणों को तेज दुर्गंध महसूस होने के बाद जब आसपास तलाश की गई, तो जंगल के भीतर दोनों हाथियों के शव पड़े मिले। बताया जा रहा है कि इनकी मौत दो से तीन दिन पहले हुई होगी, क्योंकि शवों में सड़न के संकेत स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और पूरे क्षेत्र को घेराबंदी कर जांच शुरू कर दी। वन कर्मी उदित नारायण गगराई ने घटना की जानकारी वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) को भेज दी है। वन विभाग की ओर से पोस्टमार्टम टीम भी बुलाई गई । ताकी मौत के वास्तविक कारणों का वैज्ञानिक ढंग से पता लगाया जा सके। पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू होते ही एक हथनी के पेट से मृत बच्चा बरामद हुआ।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि हाल के दिनों में इस इलाके में हाथियों की आवाजाही काफी बढ़ी थी और कई बार मानव-हाथी संघर्ष की परिस्थितियां भी सामने आती रही हैं। कुछ लोगों ने आशंका जताई है कि हाथियों की मौत किसी जहरीले पदार्थ या अवैध शिकार के कारण भी हो सकती है, हालांकि वन विभाग ने अभी किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से इनकार किया है।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, विस्तृत जांच के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि यह प्राकृतिक मृत्यु है, बीमारी के कारण हुई है या फिर किसी मानवीय गतिविधि का नतीजा है। दोनों हाथियों के आसपास किसी बड़े संघर्ष, बिजली प्रवाहित तार या गोलीबारी जैसी गतिविधि के निशान नहीं मिले हैं, जिसके कारण मौत का रहस्य और गहरा हो गया है।
घटना के सामने आने के बाद जिले में हाथियों की सुरक्षा और मॉनिटरिंग व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हाथियों की मौत किसी बाहरी हस्तक्षेप के कारण हुई है, तो यह वन्यजीव संरक्षण के लिए बेहद चिंताजनक संकेत है। विभाग ने आसपास के ग्रामीण इलाकों में पूछताछ शुरू कर दी है और इलाके में लगे कैमरा ट्रैप के फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं। वन विभाग ने आश्वासन दिया है कि जांच पूरी होने पर मौत के कारणों को सार्वजनिक किया जाएगा और यदि किसी प्रकार की अनियमितता पाई गई, तो दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।