मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश में बादलों की मौजूदगी के बावजूद बारिश की कोई संभावना नहीं है। उत्तरी पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी जारी है, लेकिन हवा का रुख बदलने से वहां की ठंडी बयार फिलहाल मध्यप्रदेश तक नहीं पहुंच पा रही। वहीं बंगाल की खाड़ी में सक्रिय लो-प्रेशर सिस्टम के कारण राज्य में हल्के बादल बने हुए हैं, जिससे दिन और रात के तापमान में अंतर देखने को मिल रहा है।
सोमवार और मंगलवार को भोपाल का न्यूनतम तापमान 15.4 डिग्री, इंदौर का 16.8 डिग्री, उज्जैन का 16.7 डिग्री और ग्वालियर का 10 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। दूसरी ओर नौगांव, रीवा, मुरैना, खजुराहो, चित्रकूट और दतिया में पारा 10 डिग्री से नीचे रहा। नौगांव में सबसे कम 8 डिग्री दर्ज किया गया, जबकि खजुराहो और चित्रकूट में तापमान क्रमशः 9.6 और 9.7 डिग्री सेल्सियस रहा। मंगलवार को भी कई शहरों में अधिकतम तापमान 25 डिग्री के आसपास रहा, जिससे ठंड का एहसास दिन में भी बना रहा।
प्रदेश में इस बार नवंबर ने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। भोपाल में 84 साल की सबसे कड़ी ठंड दर्ज हुई, जबकि इंदौर ने भी 25 साल का रिकॉर्ड पीछे छोड़ दिया। 6 नवंबर से शुरू हुए शीतलहर के दौर ने लगातार 15 दिन तक पूरे प्रदेश को कंपा दिया था, हालांकि नवंबर के अंतिम सप्ताह में मौसम ने कुछ नरमी दिखाई। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ी राज्यों में समय से पहले हुई बर्फबारी के कारण ही नवंबर में एमपी में रिकॉर्ड ठंड पड़ी। अब दो दिन बाद उत्तर से आने वाली हवाएं तेज होने की संभावना है, जिससे प्रदेश के कई हिस्सों में पारा फिर तेजी से नीचे जा सकता है। दिसंबर के पहले सप्ताह में कड़ाके की ठंड का दौर फिर से शुरू हो जाएगा।