जोधपुर, 22 नवम्बर । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया और चुनाव आयोग के कार्यों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई और आयोग के रवैये से जनता के बीच अविश्वास और आक्रोश बढ़ा है। चुनाव आयोग ने शुरुआत से ही निष्पक्ष भूमिका नहीं निभाई, जिससे लोकतंत्र के भरोसे में कमी आई है।
गहलोत ने जोधपुर दौरे के दौरान मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी द्वारा उठाए गए फर्जी वोटों के मुद्दे को संदर्भित करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने डुप्लीकेट वोटों की पहचान की थी, लेकिन आयोग ने जांच करने के बजाय उल्टे बयान देना शुरू कर दिया। यह किसी निष्पक्ष संस्था के लिए शोभनीय नहीं है। गहलोत ने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान राजस्थान में कई सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को रोक दिया गया, जबकि बिहार में चुनाव के दौरान ऐसी योजनाएं जारी रहीं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए चुनाव आयोग की निष्पक्षता बेहद अहम है, और इसके प्रति जनता का विश्वास बनाए रखना जरूरी है। गहलोत ने एसआईआर कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, तो 12 राज्यों में कार्रवाई शुरू करना संदेह पैदा करता है। उन्होंने पूछा, अगर पूरे देश में कार्रवाई करनी थी तो उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं की गई? सुप्रीम कोर्ट का मामला लंबित है, इस पर इंतजार करना चाहिए था। गहलोत ने आरोप लगाया कि एसआईआर और अन्य घटनाओं ने जनता में अविश्वास और असंतोष को जन्म दिया है, जिसके परिणामस्वरूप वोट चोर, गद्दी छोड़ जैसे नारे उठने लगे हैं। गहलोत ने कहा, जब संस्थाओं पर भरोसा टूटता है, तब लोकतंत्र कमजोर होता है।
सरकारी एजेंसियों पर सवाल
गहलोत ने सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स और चुनाव आयोग जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, यह सभी संस्थाएं देश की रीढ़ हैं, लेकिन इनकी कार्रवाई ने सरकार और संस्थाओं के प्रति अविश्वास को बढ़ाया है। गहलोत ने डॉ. आंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि डॉ. आंबेडकर ने संविधान के रास्ते पर चलने की बात कही थी। देश को धर्म के नाम पर बांटना खतरनाक है।
मुख्य सचिव की नियुक्ति पर प्रतिक्रिया
गहलोत ने राज्य के मुख्य सचिव के बदलाव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय सकारात्मक है, लेकिन कांग्रेस की हालिया जीत से यह स्पष्ट है कि सरकार को जनता का विश्वास प्राप्त नहीं हो पा रहा है। गहलोत ने राज्य सरकार पर कुप्रबंधन के आरोप लगाए। उन्होंने खास तौर पर जोधपुर और अन्य शहरों में अधूरी पड़ी प्रमुख परियोजनाओं का उल्लेख किया।