चिकित्सा शिक्षा में मिला उत्तराखंड को नया आयाम,हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने का लक्ष्य

Share

-राज्य में एमबीबीएस की 1325 सीटें

देहरादून, 13 नवंबर । उत्तराखंड अब मेडिकल एजूकेशन हब के तौर पर उभर रहा है। पिछले 25 वर्ष में राज्य ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उससे देशभर के छात्र राज्य में पढ़ने के लिए आकर्षित हो रहे हैं। धामी सरकार हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। राज्य में पांच सरकारी और चार निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1325 सीटें उपलब्ध हैं। राज्य गठन के समय यह संख्या शून्य थी।

मुख्यमंत्री पु​ष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड को चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। हमारी प्राथमिकता हर जिले में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराना है ताकि युवाओं को बाहर न जाना पड़े और प्रदेश आत्मनिर्भर बने। हमने मेडिकल कॉलेजों के साथ नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों के विस्तार पर भी विशेष ध्यान दिया है। हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड न केवल डॉक्टर तैयार करे, बल्कि पूरे उत्तर भारत को उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने वाला अग्रणी राज्य बने।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि जल्द ही रुद्रपुर और पिथौरागढ़ में भी मेडिकल कॉलेज की शुरुआत हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार का फोकस स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के साथ-साथ मेडिकल एजूकेशन को और अधिक सुदृढ़ बनाना है। मौजूदा समय में उत्तराखंड में पांच सरकारी और 4 निजी मेडिकल कॉलेज हैं। मेडिकल कॉलेज श्रीनगर (गढ़वाल), हल्द्वानी, देहरादून, अल्मोड़ा और हरिद्वार उच्च स्वास्थ्य शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इन कॉलेजों में हर साल 625 एमबीबीएस छात्रों को प्रवेश दिया जाता है और 238 से अधिक पीजी (पोस्टग्रेजुएट) सीटें उपलब्ध हैं।

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, श्रीनगर में एमबीबीएस की 150 सीटें और 51 पीजी सीटें संचालित हैं। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में 125 एमबीबीएस और 69 पीजी सीटें हैं, जबकि दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून में 150 एमबीबीएस और 70 पीजी (पोस्टग्रेजुएट) सीटें हैं। वहीं, अल्मोड़ा और हरिद्वार के नए कॉलेजों में 100-100 एमबीबीएस सीटें शुरू की गई हैं।

देहरादून स्थित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज प्रत्येक में 250 एमबीबीएस सीटें हैं। हाल ही में स्थापित ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में 150 सीटें और गौतम बुद्ध मेडिकल कॉलेज में 150 सीटें हैं। आज सरकारी और निजी कॉलेजों को मिलाकर राज्य में लगभग 1325 एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हैं, जो कुछ ही वर्षों में 130 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती हैं।

मानव संसाधन भी हुआ मजबूत:

सरकार ने मार्च 2025 में मुख्यमंत्री धामी ने 1,232 नर्सिंग अधिकारियों को नियुक्ति पत्र सौंपे। पिछले तीन वर्षों में स्वास्थ्य विभाग ने 173 सहायक प्रोफेसर, 56 वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य और 185 तकनीकी कर्मचारी नियुक्त किए हैं, जिससे 22,000 से अधिक नई सरकारी नौकरियां सृजित हुई हैं। डॉ. राजेश कुमार का कहना है कि विभाग चिकित्सा शिक्षा को मज़बूती देने के लिए संकल्पबद्ध है और प्रत्येक कॉलेज की सीट संख्या के अनुसार शिक्षकों व स्टाफ की भर्ती की जा रही है।

नर्सिंग और पैरामेडिकल एजूकेशन में भी वृद्धि:

प्रदेश में अब 12 सरकारी और 80 से अधिक निजी नर्सिंग संस्थान हैं, जिनमें कुल 4,700 बी.एससी. नर्सिंग सीटें, 463 एम.एससी. नर्सिंग सीटें और 4,000 से अधिक सहयोगी स्वास्थ्य पाठ्यक्रमों की सीटें उपलब्ध हैं। पैरामेडिकल क्षेत्र में भी निजी संस्थानों के माध्यम से 12,000 से अधिक सीटें उपलब्ध हैं, जिससे हजारों युवाओं को रोजगारोन्मुख शिक्षा मिल रही है।

स्वास्थ्य सेवाएं दुर्गम इलाकों तक पहुंची:राज्य ने हेली-एंबुलेंस सेवा जैसी पहलें शुरू की हैं ताकि दुर्गम इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकें। साथ ही, पिथौरागढ़ और रुद्रपुर में नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण जारी है, जिससे “हर जिले में मेडिकल कॉलेज” का सपना साकार होता दिख रहा है।