वाराणसी,28 नवम्बर । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण को लेकर नमो घाट पर तैयारियां अन्तिम दौर में है। आगामी 02 दिसंबर से शुरू हो रहे इस आयोजन के लिए घाट पर विभिन्न प्रकार के स्टॉल लगाने की तैयारी चल रही है। जहां आगंतुकों और अतिथियों को तमिल संस्कृति, खानपान, हस्तशिल्प, साहित्य और कई अन्य विषयों से संबंधित सामग्री देखने और सीखने को मिलेगी। आयोजन स्थल पर एक विशाल मंच भी बनाया जा रहा है, जहां मुख्य कार्यक्रमों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन होगा। इसके अलावा, नमो घाट के सांस्कृतिक मंच पर प्रतिदिन शाम को उत्तर और दक्षिण भारतीय कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियाँ होंगी, जो दर्शकों को दोनों क्षेत्रों की समृद्ध कला परंपराओं से रूबरू कराएँगी।
कार्यक्रम के बीएचयू-नोडल अधिकारी प्रो. अंचल श्रीवास्तव के अनुसार शिक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न से प्रेरित यह कार्यक्रम तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, सभ्यतागत और भाषाई रिश्तों को नई ऊर्जा देगा। इस बार काशी तमिल संगमम का विषय “तमिल सीखें – तमिल करकलम” रखा गया है, जिसके माध्यम से पूरे भारत में तमिल भाषा के अध्ययन और इसकी प्राचीन साहित्यिक विरासत को बढ़ावा दिया जाएगा। आयोजन का संचालन आईआईटी मद्रास और बीएचयू के समन्वय से किया जा रहा है, जबकि कई केंद्रीय मंत्रालयों तथा उत्तर प्रदेश सरकार का भी इसमें सहयोग है। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु से आने वाले 1,400 से अधिक प्रतिनिधि छात्रों, शिक्षकों, लेखकों, कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों, पेशेवरों, महिलाओं और आध्यात्मिक विद्वानों जैसी सात श्रेणियों में शामिल होंगे। ये प्रतिनिधि आठ दिवसीय अनुभवात्मक यात्रा पर रहेंगे, जिसमें वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या के भ्रमण के साथ बातचीत, सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्थानीय खानपान और हस्तशिल्पों से परिचय शामिल है। इसके अलावा प्रतिनिधि वाराणसी के उन तमिल धरोहर स्थलों का भी दौरा करेंगे, जिनका ऐतिहासिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है—जैसे महाकवि सुब्रमण्यम भारती का पैतृक निवास, केदार घाट, “लघु तमिलनाडु” क्षेत्र का काशी मदम, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तथा माता अन्नपूर्णा मंदिर। प्रतिनिधियों की बीएचयू के तमिल विभाग में शैक्षणिक और साहित्यिक चर्चाओं में भी भागीदारी होगी।