इस अवसर पर जनजागरण, नशा-मुक्ति, सामाजिक सुधार तथा विकसित भारत अभियान के संदर्भ में मुख्य अतिथि वैकंटेश्वर लू ने कहा कि प्रदेश में जनजातीय समाज को मुख्य धारा में जोड़ने, सामाजिक समरसता स्थापित करने तथा राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ बनाने हेतु राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि समाज की प्रगति तभी संभव है जब संकीर्णता समाप्त हो, आपसी सद्भाव बढ़े और “विविधता में एकता” के सिद्धांत को आत्मसात किया जाए। विभिन्न विभागों एवं समाज के सभी वर्गों के बीच कन्वर्जेन्स (समन्वय) विकसित करना अत्यंत आवश्यक है।
उन्हाेंने कर्मयोग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कर्म ही पूजा है, कर्म से ही राष्ट्र व समाज का विकास संभव है। सेवा-भाव, नि:स्वार्थ कर्म तथा सद्भावना समाज को आगे बढ़ाने की सबसे बड़ी शक्ति है। काम, क्रोध और लोभ को मानव जीवन का पतनकारी बताया तथा इनसे दूर रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर भक्ति और देशभक्ति का आधार प्रेम है। जब कर्म में सेवा और समर्पण का भाव होता है, वही यज्ञ बन जाता है और वही समाज एवं व्यक्ति दोनों को ऊपर उठाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि सत्य, अनुशासन, सेवा और सद्भाव के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति वास्तविक आनंद प्राप्त कर सकता है। लोभ, अनैतिकता और स्वार्थ से व्यक्ति का आंतरिक संतुलन नष्ट हो जाता है जिससे नैतिक एवं शारीरिक दोनों प्रकार की हानि होती है। उन्होंने वर्तमान पीढ़ी, विशेषकर छात्रों एवं युवाओं से कहा कि वे समाज, राष्ट्र और मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें और अपने कर्मों को यज्ञ-भाव से करें।
जिलाधिकारी डॉ० दिनेश चंद्र ने कहा कि समाज और प्रशासन के सामंजस्यपूर्ण विकास में आध्यात्मिक संगठनों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने गायत्री परिवार की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि गायत्री परिवार केवल एक संस्था नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर धर्म, संस्कृति और संस्कारों के ध्वजवाहक के रूप में कार्य कर रहा है। गोष्ठी के प्रतिनिधि अखिल विश्व डॉ० संजय चतुर्वेदी ने कहा कि गायत्री परिवार केवल एक संस्था नहीं, बल्कि संस्कारवान मानव निर्माण का वैश्विक आंदोलन है। समाज में नैतिकता, सद्भाव एवं सेवा भावना जगाने का कार्य यह संगठन निरंतर कर रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान मे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं धर्म, संस्कृति, वीरता एवं उत्तम प्रशासन के प्रतीक हैं और हम सभी उनके मार्गदर्शन से ऊर्जा प्राप्त कर रहे हैं।
गोष्ठी में इस्कॉन परिवार के प्रतिनिधि दिव्य नितायी दास ने कहा कि कर्मयोग, राष्ट्रनिर्माण तथा भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परम्परा पर कहा कि मिशन कर्मयोगी प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया एक दूरदर्शी कार्यक्रम है। जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिक, कर्मचारी तथा अधिकारी को कर्मचारी से आगे बढ़कर कर्मयोगी बनाना है। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम हमें रूल बेस्ड से रोल बेस्ड कार्य पद्धति की ओर ले जाता है, जहाँ लक्ष्य केवल फाइल मूवमेंट नहीं, बल्कि परिणाम आधारित कार्य संस्कृति है।
नितायी दास ने कर्म के तीन आयाम—कर्मभोगी, कर्मत्यागी एवं कर्मयोगी का उल्लेख करते हुए कहा कि कर्मयोगी वह है जो व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर राष्ट्र निर्माण के लिए योगदान दे। भारत के अमृत काल में प्रत्येक अधिकारी, कर्मचारी और नागरिक का दायित्व है कि वह अपनी सर्वोत्तम क्षमता के साथ देश को विश्व गुरु बनाने में सहभागिता निभाए। उन्होंने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के आदर्श को मानवता का सर्वोच्च संदेश बताया तथा कहा भारतभूमि पर जन्म लेना कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि एक विशिष्ट जिम्मेदारी है। प्रत्येक भारतवासी का पहला कर्तव्य है कि वह अपने जीवन को महान भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप परिपूर्ण करे और तत्पश्चात पूरे विश्व का मार्गदर्शन करे। इस दौरान विभिन विद्यालय से आए प्राचार्यगण और अधिकारीगण को मुख्य अतिथि ने श्रीमद् भागवत गीता की पुस्तक भेंट की। मुख्य अतिथि द्वारा सभी उपस्थित लोगों को नशा मुक्ति हेतु शपथ भी दिलाई गई। अंत में सभी का आभार मुख्य विकास अधिकारी ध्रुव खाड़िया द्वारा किया गया।