स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कार्यक्रम की शुरुआत ब्राजील में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया ने की। मंत्रालय ने कहा कि भारत और ब्राजील के बीच पारंपरिक उपचार पद्धतियों को लेकर सहयोग लगातार बढ़ रहा है। ब्राजील दक्षिण अमेरिका का पहला देश है जिसने आयुर्वेद को आधिकारिक मान्यता दी है और इसी साल ब्राजील के उपराष्ट्रपति जेराल्डो अल्कमिन की भारत यात्रा से इस साझेदारी को और मजबूती मिली है।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने अपने संबोधन में कहा कि आयुर्वेद शरीर, मन और जीवनशैली के संतुलन पर आधारित विज्ञान है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते और संस्थागत सहयोग आयुर्वेद के वैश्विक विस्तार के लिए अहम साबित हो रहे हैं। उन्होंने ब्राजील में कई वर्षों से आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में जुटे विशेषज्ञों की भी सराहना की।
स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक ज्योति किरण शुक्ला ने कहा कि भारत और ब्राजील की वेलनेस परंपराओं में समानता है और दोनों देश मिलकर इस क्षेत्र को मजबूत कर रहे हैं।
सम्मेलन के दौरान विभिन्न विषयों पर व्याख्यान और चर्चा हुईं। विशेषज्ञों ने आयुर्वेद की वैज्ञानिक संभावनाओं, प्रशिक्षण, और इसके स्थानीय स्तर पर बढ़ते उपयोग पर अपने विचार रखे। मंत्रालय ने बताया कि ब्राजील ने अब आयुर्वेद को अपनी आधिकारिक नौकरी श्रेणी सूची में शामिल कर लिया है, जिसे वहाँ इस पद्धति के विस्तार के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है।
स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र और ब्राजील के राष्ट्रीय आयुर्वेद आत्म-नियमन परिषद (कोनयुर) की ओर से 14 और 15 नवंबर को आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विशेषज्ञ, शोधकर्ता और विद्यार्थी शामिल हुए।
कार्यक्रम का समापन ब्राजील में आयुर्वेद के अगले 40 वर्षों की संभावनाओं और चुनौतियों पर गोलमेज चर्चा के साथ हुआ।