मामले से जुडे वकील दिनेश कुमार ने बताया कि मामले में याचिकाकर्ता का अन्य लोगों के बीच एक संपत्ति को लेकर 25 साल पहले इकरारनामा हुआ था। हालांकि बाद में दूसरे पक्ष ने इकरारनामे के आधार पर संपत्ति विक्रय नहीं किया। इस पर याचिकाकर्ता ने डीग की निचली अदालत में इकरारनामे की पालना को लेकर दावा पेश किया। दावे पर सुनवाई के दौरान एक गवाही में सामने आया कि याचिकाकर्ता जिन दो लोगों के साथ इकरारनामा होना बता रहे हैं, उन दोनों की मौत काफी पहले ही हो चुकी है। इस पर एडीजे कोर्ट ने साल 2018 में दावा खारिज करते हुए इकरारनामे की जांच के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।