कोर्ट ने इस मामले में 7 नवंबर को दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन को नोटिस जारी किया था। बलवान खोखर ने जेल प्रशासन से फरलो पर रिहा करने की मांग की थी, जिसे 4 सितंबर को जेल प्रशासन ने नामंजूर कर दिया था। जेल प्रशासन ने कहा था कि खोखर को रिहा करने पर शांति भंग होने और कानून-व्यवस्था का खतरा उत्पन्न होने की आशंका है। जेल प्रशासन से अर्जी नामंजूर होने के बाद बलवान खोखर ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। बलवान खोखर ने अपने परिवार और समाज के सदस्यों के मिलने और संबंध दोबारा स्थापित करने के लिए फरलो पर 21 दिनों के लिए रिहा करने की मांग की है। फरलो एक अस्थायी रिहाई है और ये पूरी सजा को कम या निलंबित करना नहीं है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर, 2018 को दिल्ली सिख दंगों के मामले में बलवान खोखर को पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के साथ ही उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय ने पूर्व नेवी अधिकारी भागमल के अलावा, कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, गिरधारी लाल और दो अन्य को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा को बरकरार रखा था। सज्जन कुमार ने 31 दिसंबर, 2018 को कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।