शुक्रवार को आयोजित इस बैठक में जिलाधिकारी ने जल निगम की लगभग एक दर्जन ऐसी पंपिंग योजनाओं जिनका 80 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है- को 31 दिसंबर तक हर हाल में पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने संबंधित उप जिलाधिकारियों को दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में मौके पर जाकर कार्य प्रगति का सत्यापन सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कार्य समय और गुणवत्ता के अनुरूप पूर्ण नहीं हुए तो संबंधित निर्माणदायी संस्था के अधिकारियों के वेतन आहरण पर रोक लगाने की कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि पूर्ण हो चुकी सभी पंपिंग योजनाओं से जुड़े प्रत्येक ग्राम में हर एक नल में निर्बाध जल आपूर्ति सुनिश्चित हो। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पानी की उपलब्धता को लेकर किसी भी प्रकार की शिकायत सामने न आए।जिलाधिकारी ने कहा कि जल जीवन मिशन से आच्छादित शत–प्रतिशत गांवों में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने के बाद रिपोर्टिंग और सर्टिफिकेशन के बीच के अंतर को प्राथमिकता के आधार पर शून्य किया जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि जिन 323 गांवों का सर्टिफिकेशन लंबित है, उनकी सूची कारण सहित उपलब्ध कराई जाए। अधीक्षण अभियंता, जल निगम को निर्देश दिए गए कि जिन ठेकेदारों ने कार्यों में लापरवाही बरती है और जिनके बॉन्ड निरस्त किए जा चुके हैं, उन्हें ब्लैकलिस्ट करते हुए आगामी बैठक में उनकी सूची प्रस्तुत की जाए। स्प्रिंग एंड रिवर रिज्युविनेशन अथॉरिटी (सारा) की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि जल संरक्षण संबंधी उपचार विधियों, कार्यों के अस्पष्ट आंकड़ों को को स्पष्ट करते हुए, आगामी बैठकों में धरातल पर किए गए कार्यों के फोटोग्राफ सहित व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करें।
जल शक्ति केंद्र के कैच द रेन कार्यों की समीक्षा में उन्होंने सिंचाई, वन, पेयजल एवं कृषि विभाग द्वारा पोर्टल पर जल संरक्षण कार्यों को अपडेट न करने पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए निर्देश दिए कि सभी विभाग प्राथमिकता के आधार पर पोर्टल पर डेटा अपडेट करना सुनिश्चित करें। बैठक में परियोजना निदेशक डीआरडीए विवेक कुमार उपाध्याय, जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर, अधिशासी अभियंता जल निगम पौड़ी नवनीत कटारिया, एसडीओ फॉरेस्ट लक्की शाह आदि शामिल रहे।