रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘भानु सिंह पदावली’ पर आधारित इस नृत्य नाटिका का नाट्य एवं नृत्य रूपांतरण तथा निर्देशन सायोनी भट्टाचार्या द्वारा किया गया। भारतीय नृत्य शैलियों के सुंदर संगम से सजी यह प्रस्तुति भक्ति और प्रेम के भावों से अनुप्राणित रही। मोहक भावाभिव्यक्ति, मनोहारी नृत्य संरचना, सुमधुर संगीत और उत्कृष्ट प्रकाश संयोजन ने दर्शकों के हृदय पर गहरी छाप छोड़ी। प्रस्तुति के दौरान दर्शकों की निरंतर तालियों ने कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।
सायोनी भट्टाचार्या की कलात्मक परिकल्पना और गहन नाट्य-संगीत दृष्टि के अनुरूप मंचित यह नृत्य नाटिका भारतीय शास्त्रीय नृत्य की बहुआयामी संवेदना का सशक्त उदाहरण रही। इससे पूर्व सायोनी भट्टाचार्या “चंडालिका”, “परिशोध” और “मायर खेला” जैसी चर्चित प्रस्तुतियों में भी अपनी रचनात्मक पहचान स्थापित कर चुकी हैं। प्रकाश, संगीत और भावाभिव्यक्ति के सामंजस्य ने ‘कृष्णामृत’ को एक अनूठा कलात्मक अनुभव बना दिया। यह प्रस्तुति न केवल राधा-कृष्ण प्रेम की कथा का मंचन थी, बल्कि यह उस भाव-जगत की अनुभूति भी थी, जहां कला, भक्ति और अध्यात्म एकाकार होकर ईश-प्रेम की अनुभूति कराते हैं।इस नृत्य नाटिका में मंच पर भाग लेने वाले कलाकार अहोना भट्टाचार्या, सान्वी बासू, गरिमा कुशवाहा, निवेदिता दासगुप्ता, श्रेया घोष, नंदिनी तिवारी, यशस्वी मिश्रा, नित्या तिवारी, पूर्वी केशरवानी, अंशिका शुक्ला आदि रहे। मंच परे प्रॉपर्टी मैनेजमेंट आशिका शुक्ला, शुभी मिश्रा, कॉस्ट्यूमः अनुपम घोष, मणिका मिश्रा, सेटः अनुपम घोष, पार्श्व स्वरः प्रतिभा मिश्रा, अहोना भट्टाचार्या, लाइटः सुजॉय घोषाल, मूल आलेख भानु सिंह पदावली, नृत्य एवं नाट्य रूपांतरण सायोनी भट्टाचार्या, अहोना भट्टाचार्या, परिकल्पना एवं निर्देशन सायोनी भट्टाचार्या का रहा।