दमोहः स्वदेशी मेला में जैविक उत्पाद एवं किसानों की अनदेखी

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दमोह के कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर एवं शासकीय अधिकारी कर्मचारियों के साथ बढी संख्या में नागरिक भी प्रति सप्ताह रविवार को लगने वाले जैविक हाट बाजार में पहुंचते हैं। लेकिन दमोह जिला मुख्यालय पर तहसील ग्राउंड पर 10 दिनों तक चले स्वदेशी के नाम पर लगे मेले में उत्पाद एवं इन उत्पादकों को नहीं देखा गया। इसी संबध में हमने जब इन किसानों से प्रश्न किये तो उनके मन की पीडा सामने आ गयी।

क्या है स्वदेशी जागरण मंच का उद्देश्य-

ज्ञात हो कि स्वर्णिम भारत फाउंडेशन के बेनर तले स्वदेशी जागरण मंच द्वारा देश भर में स्वदेशी मेलों का आयोजन किया जा रहा है। देश में 100 से अधिक जिलों में मेले आयोजित किये जाने के लक्ष्य को लेकर कार्य प्रारंभ किया। अपने लक्ष्य को लेकर प्रारंभ हुई यात्रा में काफी बडी संख्या में मेले सम्पन्न हो चुके हैं। स्वदेशी जागरण मंच एक भारतीय स्वदेशी-समर्थक संगठन है जिसकी स्थापना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी ने 22 नवंबर 1991 को की थी। यह वैश्वीकरण और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रति आलोचनात्मक दृष्टिकोण रखता है और इसके बजाय घरेलू उत्पादन, आर्थिक संप्रभुता और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है। यह स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने, स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने और गांवों को मजबूत करने जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से काम करता है।

जैविक किसानों का दर्द-

रसायन मुक्त खेती कर जैविक अनाज,फल,सब्जियों को पैदा करने और दमोह में प्रति सप्ताह एक वर्ष से दुकान लगाने वाले किसानों से जब स्वदेशी बाजार में दुकाने नहीं लगाने के संबध में प्रश्न किया गया तो उनके मन की पीडा सामने आ गयी। महिला किसान हीरा लोधी कहती हैं कि हम 15 से 20 किसान प्रति सप्ताह अपने उत्पाद लेकर आते हैं। हम खेती करते हैं और वह भी पूरी तरह जैविक हम लोगों को स्वदेशी मेले में दुकान लगाने के लिये कोई आमंत्रण नहीं दिया गया। बहादुर सिंह लोधी कहते हैं कि हमारे जितने भी उत्पाद हैं वह सभी रसायन मुक्त हैं। उन्होने कहा कि हम मोटे अनाज जिसको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीअन्न का नाम दिया है को पूरी तरह प्राकृतिक उर्वरक एवं प्राकृतिक तरीके से ही उगाते हैं। वह कहते हैं कि 10 दिनों से स्वदेशी मेले में हम लोगों को कोई स्थान नहीं दिया गया जो कि एकदम गलत है।

जैविक हाट बाजार दमोह के अध्यक्ष थम्मन सिंह लोधी ने बताया कि हम सभी देशी एवं रसायन मुक्त अन्न पैदा करने वाले हैं। जब उनके पास रखी तेल की बोतलो के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह कच्ची घानी का तेल है जो लकडी के प्राकृतिक कोल्हू से निकाला जाता है। उनसे जब स्वदेशी मेले में दुकान लगाने के संबध में पूछा गया तो उनका कहना था कि हमारे संगठन के किसी भी किसान को आमंत्रित नहीं किया गया।

भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी रमेश यादव कहते हैं कि दत्तोपंत ठेंगड़ी ने 22 नवंबर 1991 को स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना की थी। आज उसी के संघ के किसानों को मेले से दूर रखा गया है, इससे आयोजकों की मंशा पर प्रश्न उठता है। शासन,प्रशासन पूरी तरह हम जैविक उत्पादकों के साथ खडा है परन्तु स्वदेशी के नाम पर आयोजित मेला में आमंत्रित न करना बेहद दुखद है।

किसान श्रीराम कुरैरिया कहते हैं कि हम सभी पारंपरिक खेती करते हैं। गौ आधारित खेती श्रीअन्न एवं जैविक फल,सब्जियों का उत्पादन और दमोह में लगभग 1 वर्ष से हाट बाजार में नियमित उपस्थिति इसके बाद भी दमोह में आयोजित स्वदेशी मेले में आयोजकों के द्वारा आमंत्रित नहीं करना मन को दुखी करता है।