छत्तीसगढ़ का नया विधानसभा भवन राज्य की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और आस्था का प्रतीक

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उल्लेखनीय है कि एक नवम्बर, 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के साथ ही छत्तीसगढ़ विधानसभा का भी गठन हुआ। छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम विधानसभा में 91 सदस्य थे। इनमें एक नामांकित एंग्लो इंडियन समुदाय का सदस्य था। राज्य विधानसभा का पहला सत्र रायपुर के एक निजी प्रतिष्ठित राजकुमार कॉलेजके जशपुर हॉल में हुआ था। बाद में विधानसभा को राजधानी के बाहरी इलाके में रायपुर-बलौदाबाजार मार्ग पर एक नई बनी सरकारी भवन में शिफ्ट कर दिया गया था।

शनिवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा को 25 वर्षों के बाद रजत जयंती वर्ष में अपना भव्य, आधुनिक और पूर्ण सुविधायुक्त स्थायी भवन मिलने जा रहा है। यह भवन छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और आस्था का प्रतीक भी है। नवा रायपुर में स्थिति नई विधानसभा के सिलिंग में धान के बालियों की डिजाइन बनाई गई है, जो प्रदेश के खेती का प्रतीक है। वहीं, विधायकों के बैठने के लिए तैयार सोफे बस्तर के कारीगरों ने बनाया है। भवन के ज्यादातर दरवाजे और फर्नीचर बस्तर के पारंपरिक काष्ठ शिल्पियों द्वारा बनाए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार नए विधानसभा सभा की नींव 28 अगस्त 2020 को कांग्रेस सरकार के समय रखी गई थी। अब 5 साल बाद ये भवन पूरी तरह तैयार है।

विधानसभा के अधिकारियों ने बताया है कि नई बिल्डिंग में तीन प्रमुख विंग बनाए गए हैं। विंग ए में विधानसभा सचिवालय, विंग बी में मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय, विधानसभा सदन और सेंट्रल हॉल होगा। इसके बाद विंग-सी में उप मुख्यमंत्रियों एवं सभी मंत्रियों के लिए 24 स्पेशल रूम बनाए गए हैं। यह भवन पूरी तरह पर्यावरण अनुकूल और हरित निर्माण तकनीक से बनाया गया है। परिसर में सोलर प्लांट की स्थापना के साथ वर्षा जल संचयन के लिए दो सरोवर भी बनाए गए हैं। इसके अलावा भवन में पर्यावरण-संरक्षण के सभी मानकों का पालन किया गया है।

विधानसभा भवन में 500 दर्शक क्षमता वाला अत्याधुनिक ऑडिटोरियम और 100 सीटर सेंट्रल हॉल बनाया गया है।

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