वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन पर तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण संपन्न

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मुख्य अतिथि जिला उद्यान पदाधिकारी तमन्ना परवीन ने कहा कि झारखंड का जैविक वातावरण, विविध पुष्पीय संसाधन और तापमान की अनुकूलता शहद उत्पादन के लिए आदर्श है। वैज्ञानिक पद्धति अपनाने से किसानों की आय बढ़ेगी और फसल उत्पादन में 25-30 प्रतिशत तक वृद्धि संभव है।

प्रखंड विकास पदाधिकारी सुलेमान मुंडरी ने कहा कि मधुमक्खी पालन कम लागत वाला लाभकारी व्यवसाय है, जिससे ग्रामीण युवा आत्मनिर्भर बन सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. बृजेश पांडे ने बताया कि इससे किसान अतिरिक्त आय के साथ पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।

प्रशिक्षण में मधुमक्खी प्रजातियों की पहचान, कॉलोनी प्रबंधन, शहद निकासी और विपणन की जानकारी दी गई।

वैज्ञानिक अटल बिहारी तिवारी ने बताया कि मधुमक्खी पालन आमदनी बढ़ाने के साथ कुपोषण निवारण और पर्यावरण संतुलन में भी सहायक है। धन्यवाद ज्ञापन उद्यान वैज्ञानिक सुनील कुमार ने किया।