दरअसल, भोपाल जेल में निरुद्ध डॉ. अभिजीत पाण्डेय की मां अलका पाण्डेय की ओर से दायर याचिका में आवेदक का कहना है कि पत्नी को आत्महत्या के उकसाने के आरोप में 25 मार्च 2025 से वह न्यायिक अभिरक्षा में है। उक्त मामला शहपुरा थाने में दर्ज था। याचिका में आरोप है कि अभिजीत की पत्नी के मामा प्रकाश चंद्र पाण्डेय भोपाल के डिप्टी कलेक्टर हैं। उन्ही के प्रभाव में आकर ससुराल पक्ष ने दूसरी एफआईआर एमपी नगर थाने में दर्ज करा दी।
3 से 9 अप्रैल के बीच डॉ. अभिजीत के क्लीनिक में प्रशासन की टीम संयुक्त निरीक्षण के नाम पर बिना वारंट के पहुंची और चाबी न होने के नाम पर पीछे के दरवाजे से उन्होंने प्रवेश किया। इतना ही नहीं, एसडीएम के चपरासी की शिकायत के आधार पर उसके खिलाफ जुलाई में तीसरी एफआईआर दर्ज करा दी गई। मामले पर सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर व अधिवक्ता हिमान्शु मिश्रा हाजिर हुए।
सुनवाई के दौरान बेंच ने पाया कि सीएमएचओ डॉ. अश्विनी भनवाल और एक सीताराम शर्मा ताला तोड़कर डॉ. अभिजीत के क्लीनिक में घुसे थे। इस कार्रवाई को जबरदस्ती की श्रेणी में पाते हुए अदालत ने सीएमएचओ और एसडीओ को हाजिर होने के निर्देश दिए। मामले पर अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। जानकारी के अनुसार उक्त प्रकरण में शुक्रवार काे
न्यायालय ने ये निर्णय लिया है।