मप्रः खटखरी घटना में शासन की त्वरित कार्रवाई, मेडिकल स्टोर सील, संचालक पर एफआईआर दर्ज

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मऊगंज कलेक्टर संजय कुमार जैन ने बताया कि प्राथमिक जांच में पाया गया कि दुकानदार ने चिकित्सकीय परामर्श के बिना बच्चे को दवा दी थी। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए तत्काल कार्रवाई की गई। इस घटना की जांच सीएमएचओ डॉ. संजीव शुक्ला और हनुमना एसडीएम श्रीमती रश्मि चतुर्वेदी के नेतृत्व में की गई। अधिकारियों ने बच्चे की मां श्वेता यादव से जानकारी ली।

श्वेता यादव ने बताया कि उनका बेटा पिछले एक माह से बीमार था और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उपचार के लिए उन्होंने पहले मऊगंज के डॉ. मंसूरी खान और फिर आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. एम.के. मिश्रा से इलाज कराया, लेकिन बच्चे की हालत में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद 24 अक्टूबर को उन्होंने खटखरी स्थित विनोद मेडिकल स्टोर से बिना पर्चे के दवा ली। दुकानदार ने बच्चे को एमॉक्सीसिलीन ओरल सस्पेंशन, बेटामेथासोन सोडियम फास्फेट ओरल ड्रॉप और ट्रेराब्यूटाइन ब्रोमहेक्सीन सिरप दी थीं।

प्रदेश के खाद्य एवं औषधि नियंत्रक दिनेश श्रीवास्तव ने रविवार को बताया कि विनोद मेडिकल स्टोर के संचालक जितेन्द्र कुमार गुप्ता द्वारा बिना किसी डॉक्टर के पर्चे और सलाह के एलोपैथिक दवाएं दी गई थीं, इसके बाद बच्चे की मृत्यु हुई। औषधि निरीक्षक मऊगंज द्वारा आठ औषधियों के नमूने जांच हेतु लिए गए हैं, जिन्हें औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भोपाल भेजा गया है। वहीं 5 औषधियों के स्टॉक को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत फॉर्म-15 में फ्रीज़ किया गया है।

खाद्य एवं औषधि नियंत्रक श्रीवास्तव ने बताया कि प्रारंभिक जांच अनुसार, बालक को पिछले एक माह से श्वसन संबंधी परेशानी थी। प्रारंभ में बच्चे का उपचार एक पंजीकृत बाल रोग विशेषज्ञ से कराया गया था, जिसके बाद सुधार न होने पर अभिभावकों ने स्थानीय आयुर्वेदिक चिकित्सक को दिखाया। आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा एलोपैथिक औषधियों का उपयोग किया गया, जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था। इन दवाओं से भी सुधार न होने पर बालक के अभिभावकों ने खटखरी स्थित विनोद मेडिकल स्टोर से बिना डॉक्टर के पर्चे की दवाएं लीं, इसके बाद से बच्चे की तबीयत बिगड़ी और उसकी मृत्यु हो गई।

औषधि विक्रय संस्थान विनोद मेडिकल स्टोर, खटखरी को औषधि निरीक्षक द्वारा सील किया गया है और संचालक जितेन्द्र कुमार गुप्ता के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज की गई है। जांच में पाया गया कि बिना डॉक्टर की सलाह के दवा विक्रय कर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 65(2) का उल्लंघन किया गया है। नियंत्रक ने कहा कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होते ही संबंधित अधिनियम के तहत आगे की वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

नियंत्रक श्रीवास्तव ने बताया कि 10 अक्टूबर 2025 को ही सभी औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए थे कि औषधि विक्रय संस्थानों पर रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की उपस्थिति अनिवार्य है और बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के दवा विक्रय न किया जाए। 11 अक्टूबर को मध्य प्रदेश केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के साथ बैठक में भी इन निर्देशों की पुनः पुष्टि की गई थी।