बिहार सिवान से आई नेहा ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पा रही थीं। उनके लिए यह शिविर वरदान साबित हुआ। देवरिया से आए 50 वर्षीय अशोक ने कहा कि शुगर एवं अन्य बीमारियों से काफ दिनों से परेशान था, यहां की जानकारी हुई तो लगा अब सही उपचार होगा और रोग ठीक हो जाएगा। बहुत महंगी दवा और जांच निशुल्क हो गया एक गरीब को और क्या चाहिए। कुछ इसी तरह की बातें कुशीनगर के हाटा से आईं 40 वर्षीय पुष्पा सिंह, कसया से प्रियंका यादव ने, महराजगंज से आईं किरन व नीलम ने खलीलाबाद से आए 55 वर्षीय मोहम्मद अफरोज ने भी कहा। सभी कहा यहां एक रुपये भी नहीं लगा। इसके अलावा करीब 75 ऐसे आंख के रोगी आए जिनके मोतियाबिंद का आपरेशन निशुल्क किया गया।
शिविर की शुरूआत में सेवा प्रकल्प के डा. अभिलाष, डा. सुगंध ने सभी चिकित्सकों का स्वागत किया। सहयोग करने वाले चिकित्सों में डा. विजाहत करीम, डा. एसएम सिन्हा, डा. महेंद्र अग्रवाल, डा. आसिफ मसूद, डा. राजेश यादव, डा. अनिल श्रीवास्तव, डा. त्रिलोक रंजन, डा. सुरहिता करीम, डा. हर्षवर्धन राय, डा. वीरेश गुप्ता, डा. गजाला रुख्शी, डा. सुगंधा भारती, डा. अनुभव श्रीवास्तव, डा. मीनाक्षी गुप्ता, डा. विश्रुत भारती, डा. एनपी सिंह, डा. विनोद श्रीवास्तव, डा. सीबी मद्धेशिया, डा. अभिनव श्रीवास्तव, डा. एके श्रीवास्तव, डा. आलोक, डा. मनोज, डा. अमित सिंह, डा. पल्लवी, डा. सृजन, डा. मानसी, डा. तन्वी श्रीवास्तव भारती, डा. अभिताभ उपाध्या, डा. सतीश चंद्रा, डा. आरएन सिंह, डा. राजेश गुप्ता, डा. तुषार सिन्हा, डा. हर्षित गुप्ता, डा. यशांशु गुप्ता, डा. साक्षी, डा. माणिक जैन, डा. चित्रांशा सिन्हा, डा. विनय शंकर पांडेय, डा. हिमांशु रावत ने अहम भूमिका निभाई। अंत में आयोजन समिति की सदस्य अनुपम श्रीवास्तव, शबनम श्रीवास्तव एवं प्रेम नाथ ने समुचित टीम को शिविर की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी।