एदारा-ए-शरिया के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद मौलाना गुलाम रसूल बलियावी के नेतृत्व में 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मिला और उन्हें ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में कहा गया है कि बरेली में स्थानीय प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों, विशेषकर जीवन, स्वतंत्रता, आवासीय सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन किया है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के लोगों की गिरफ्तारी और घरों को तोड़ा जाना भारतीय संविधान की आत्मा और लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। एदारा-ए-शरिया ने देश की राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से तीन मुख्य मांगें रखी हैं।
1. बरेली की घटनाओं पर न्यायिक जांच कराई जाए और मौलाना तौकीर रज़ा समेत सभी गिरफ्तार मुस्लिम नागरिकों को तुरंत रिहा किया जाए।
2. जिन परिवारों के मकान तोड़े गए हैं, उन्हें उचित मुआवज़ा एवं पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
3. उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित किया जाए कि भविष्य में किसी भी समुदाय के मौलिक अधिकारों का हनन न हो।
एदारा-ए-शरिया के सदस्यों ने कहा कि अगर ऐसी घटनाओं को रोका नहीं गया, तो देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादाओं पर गहरा आघात पहुंचेगा। संस्था ने भरोसा जताया है कि महामहिम राष्ट्रपति और भारत सरकार इस मामले में हस्तक्षेप कर न्याय और निष्पक्षता सुनिश्चित करेगी।
मर्कज़ी एदारा-ए-शरिया के प्रतिनिधिमंडल ने एदारा-ए-शरिया के संस्थापक अल्लामा अरशदुल कादरी अलैहे रहमा की तसनीफ 28 जिलदों (किताब) का सेट बिहार के राज्यपाल को पेश किया ।