उपराष्ट्रपति राधाकृष्ण ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कहा कि संघ की शताब्दी के इस महत्वपूर्ण अवसर पर उनकी हार्दिक शुभकामनाएं। संघ ने 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित होने के बाद से युवाओं में मजबूत आंतरिक चरित्र निर्माण और निःस्वार्थ समाज सेवा की भावना पैदा की। “सेवा परमो धर्मः” के आदर्श से स्वयंसेवक बाढ़, अकाल, भूकंप या अन्य किसी भी आपदा में बिना किसी आदेश के समाज की सेवा करते हैं। संघ सेवा में कभी भी धर्म, जाति या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं करता और यह राष्ट्र के लिए एक अमूल्य योगदान है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का प्रेरक संबोधन राष्ट्र निर्माण में संघ के समृद्ध योगदान पर प्रकाश डालता है। उन्होंने संघ की भूमिका को भारत की जन्मजात क्षमता और गौरव की नई ऊंचाइयों से जोड़ते हुए इसकी वैश्विक महत्ता को रेखांकित किया।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागपुर में आयोजित श्रीविजयदशमी उत्सव में शामिल होकर सभी स्वयंसेवकों और संघ परिवार को विजयदशमी और शताब्दी समारोह की बधाई दी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत और पूर्णतः समरस एवं एकात्म भारत के निर्माण में संघ का योगदान महत्वपूर्ण रहेगा।
सद्गुरु ने संघ को राष्ट्र भक्ति का प्रतीक बताया और कहा कि संघ ने भारत के कठिन समय में मौन सेवा और बलिदान के माध्यम से समाज को जोड़ा। उन्होंने संघ को इसके 100 वर्ष पूरे करने पर बधाई दी।