विलायती बबूल के राज्यव्यापी उन्मूलन की तैयारी में राज्य सरकार

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दिलावर ने जोधपुर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश से विलायती बबूल के प्रभावी और स्थायी उन्मूलन के लिए सभी विभागों को समन्वित रूप से कार्य करना होगा। वन एवं राजस्व विभागों द्वारा एक स्पष्ट एवं पारदर्शी दिशा-निर्देश जारी होने के बाद प्रदेश के प्रत्येक गांव में अभियान के रूप में विलायती बबूल के उन्मूलन का कार्य निर्बाध रूप से प्रारंभ किया जाएगा। उन्होंने वन एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि एक आदेश शीघ्र जारी किया जाए ताकि इस पौधे की कटाई के लिए बार-बार अनुमति लेने की आवश्यकता समाप्त हो तथा किसी प्रकार की वैधानिक बाधा न उत्पन्न हो।

दिलावर ने बताया कि विलायती बबूल एक आक्रामक विदेशी प्रजाति है, जो प्रदेश की ग्रामीण भूमि, चारागाहों और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। इसकी गहरी जड़ें (लगभग 30 फीट तक) और अत्यधिक जल सोखने की क्षमता (15 मीटर तक) भूजल स्तर में गिरावट और मृदा की उर्वरता में कमी का कारण बन रही हैं। इसके कारण देशी पौधों की प्रजातियाँ भी नष्ट हो रही हैं।

दिलावर ने कहा कि सभी संबंधित विभाग आपसी समन्वय से एक व्यवस्थित और सक्रिय अभियान के रूप में विलायती बबूल का उन्मूलन करने की दिशा में कार्य करें। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कटाई के दौरान अन्य उपयोगी वृक्षों को कोई क्षति न पहुंचे। विलायती बबूल के कोयले के परिवहन में आने वाली प्रक्रियात्मक कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए परिवहन की अनुमति प्रणाली को सरल बनाया जाए। दिलावर ने सुझाव दिया कि इस पौधे के पुनः उगने की प्रवृत्ति को देखते हुए राज्य सरकार को इसके उन्मूलन के लिए तीन से चार वर्ष की दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार करनी होगी।

ओटाराम देवासी ने कहा कि यह पौधा हमारे चारागाह, कृषि भूमि, नदियों-नालों के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है, जिसे जड़ से खत्म करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि मनरेगा और स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर चरणबद्ध तरीके से इसका उन्मूलन किया जाए और सभी विभागों और आम जनता के सहयोग से हम जल्द ही विलायती बबूल मुक्त राजस्थान का सपना साकार करेंगे।

बैठक में डाॅ. जोगा राम, शासन सचिव एवं आयुक्त, पंचायती राज विभाग सहित वन, राजस्व, ग्रामीण विकास, जल संसाधन एवं संग्रहण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।