पेंशनरों का कहना है कि उम्र के इस पड़ाव में अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतरना मजबूरी बन गया है, जो अत्यंत दुखद है। उनका आरोप है कि सुक्खू सरकार ने दो दिन पहले तीन फ़ीसदी डीए देने की घोषणा की, जबकि 16 फ़ीसदी डीए लंबित है। इसमें से चार फ़ीसदी की किस्त जारी की जानी थी, लेकिन सरकार ने उसमें भी एक फ़ीसदी का झोल कर दिया। इससे पेंशनरों में भारी नाराज़गी है।
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि छठे वेतन आयोग का एरियर वर्ष 2016 से लंबित है, जबकि जनवरी 2026 में नया वेतनमान लागू होने जा रहा है। वर्षों से मेडिकल बिलों का भुगतान न होने के कारण पेंशनरों को इलाज तक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कई पेंशनर बिना इलाज के मौत के मुंह में जा चुके हैं, जो सरकार के लिए शर्मनाक स्थिति है।
पेंशनर वेलफेयर संघ शिमला इकाई के महासचिव सुभाष वर्मा ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द सभी लंबित वित्तीय देनदारियों का निपटारा करे। उन्होंने कहा कि जो वर्ग पूरी उम्र सरकार की सेवा में समर्पित रहा, आज उसी को अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है, जो किसी भी संवेदनशील सरकार के लिए कलंक से कम नहीं।