धर्म प्रचार कमेटी अकाली दल की ओर से गुरुद्वारा साहिब टेल्को कमिटी के सौजन्य से आयोजित विशेष धार्मिक दीवान में श्रद्धा, सेवा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। दीवान की शुरुआत अरदास और हुकमनामा साहिब से हुई। इसके बाद भाई रामप्रीत सिंह और भाई हरमीत सिंह ने अपने मधुर कीर्तन से संगत को भावविभोर कर दिया। कीर्तन के शब्दों में ऐसी आत्मिक मिठास थी कि पूरा दरबार वाहेगुरु-वाहेगुरु के स्वर से गूंज उठा।
इसके बाद भाई मंजीत सिंह (कोट बुड्ढे वाले) और भाई अमृतपाल सिंह ने सिख इतिहास के स्वर्णिम अध्यायों को स्मरण कराते हुए गुरु परंपरा की महिमा का बखान किया। उन्होंने बताया कि यह दिवस गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को सर्वोच्च गुरु स्वरूप घोषित किए जाने की स्मृति में मनाया जाता है।
धर्म प्रचार कमेटी अकाली दल के भाई रविंदरपाल सिंह ने कहा कि यह दिहाड़ा सिख पंथ की आत्मा और उसकी निरंतरता का प्रतीक है। जब 10 वें गुरू श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने फरमाया कि आज्ञा भई अकाल की तभै चलायो पंथ, सब सिखण को हुक्म है गुरु मानयो ग्रंथ, उसी क्षण से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को जीवंत शब्द गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।
सरदार गुरमीत सिंह तोते के अलावा गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी, साकची के प्रधान सरदार निशान सिंह, वरिष्ठ सदस्य परमजीत सिंह काले भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर शहरभर से गुरसिख परिवारों ने सहभागिता की और गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु गोबिंद सिंह जी तक की अखंड परंपरा को नमन किया। समागम के अंत में कीर्तन दरबार की संपूर्णता अरदास और लंगर सेवा के साथ हुई।
कार्यक्रम को सफल बनाने में सुखदेव सिंह खालसा, रविंदर सिंह, रविंदरपाल सिंह, रामकिशन सिंह, हरमीत सिंह, अमृतपाल सिंह सहित अन्य का विशेष योगदान रहा।