निर्मल धालीवाल ने शुक्रवार को बताया कि पराली का समुचित प्रयोग हो तो फसलों के मित्र कीट बचाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के अलावा काफी हद तक पशु चारे का प्रबंध हो सकता है। निर्मल सिंह पराली उठाने के बाद उसे प्रोसेस कर उसे गुजरात व राजस्थान की गौशालाओं को उपलब्ध करवाते हैं ताकि वहां गायों को पशुचारा उपलब्ध करवाया जा सके। वे स्वयं भी अपनी 20 एकड़ भूमि पर धान की बिजाई करते हैं और पराली प्रबंधन भी कर रहे हैं। निर्मल धालीवाल कई बार जिला प्रशासन व कृषि विभाग द्वारा सम्मानित भी हो चुके हैं।
दो लाख क्विंटल पराली का करते हैं प्रबंधन, 40 लोगों को रोजगार
निर्मल धालीवाल ने बताया कि एक एकड़ से लगभग 25 क्विंटल तक पराली निकलती है और वे करीबन दो लाख क्विंटल पराली का प्रबंधन कर रहे हैं। इस पराली में कुछ की गांठे बनाते हैं तो शेष की तूड़ी बनाई जाती है। सालभर उनके यहां प्लांट में काम चलता रहता है और उन्होंने 40 लोगों को रोजगार दिया हुआ है। उन्होंने बताया कि राजस्थान के सांचौर के समीप पथमेड़ा गौशाला में ही करीबन एक लाख क्विंटल पराली से बनी तूड़ी की डिमांड रहती है। उन्होंने बताया कि वे गुजरात व राजस्थान की गौशालाओं को पराली की तूड़ी उपलब्ध करवाते हैं। उन्होंने कहा कि पावर प्लांट से भी पराली की डिमांड आती है, लेकिन वे उन्हें उपलब्ध नहीं करवाते है, क्योंकि उनका मकसद पशु चारे के प्रबंधन का है।