हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के इंस्पेक्टर दीपक द्वारा कैडेट्स को बाढ़ से संबंधित खतरों, उनसे बचाव के तरीकों और आपात स्थिति में किए जाने वाले प्राथमिक उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने आकस्मिक स्थिति में स्थानीय संसाधनों जैसे प्लास्टिक की बोतलें, बांस, रस्सी आदि की मदद से तैरने वाले उपकरण (इम्प्रोवाइज्ड फ्लोटेशन डिवाइसेज) बनाने का तरीका बताया, जिससे सीमित संसाधनों में भी लोगों की जान बचाई जा सकती है। टीम ने इन उपकरणों का व्यावहारिक प्रदर्शन भी किया, जिससे कैडेट्स को रेस्क्यू तकनीकों को प्रत्यक्ष रूप से देखने और सीखने का अवसर मिला।
कैडेट्स ने केरोसिन टिन राफ्ट, चारपाई राफ्ट, बांस से बनी राफ्ट, बैरल राफ्ट, केले के वृक्ष से बनी राफ्ट, ट्यूब राफ्ट, पानी की बोतल से बनी राफ्ट व लाइफ जैकेट, थर्मोकोल से बनी लाइफ जैकेट बनाने की विधि को सीखा। इसके साथ ही पानी में डूब रहे व्यक्ति को किस प्रकार बचाया जा सकता है, इसके बारे में भी कैडेट्स को बताया गया। कैडेट्स ने रीच विधि, थ्रो विधि, वेड विधि, वेट रेस्क्यू, कांटेक्ट टो रेस्क्यू आदि तकनीक को भी सीखा।
प्रशिक्षण के पहले सत्र में मास्टर ट्रेनर मनोज कंडियाल द्वारा कैडेट्स को आपदा प्रबंधन की मूल अवधारणाओं से अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि आपदा केवल एक घटना नहीं होती, बल्कि इसके सामाजिक, आर्थिक व मानसिक प्रभाव होते हैं। इस दौरान आपदाओं के प्रकार, उनकी गंभीरता, युवाओं की भूमिका और आपदा की स्थिति में किए जाने वाले त्वरित उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई।