उज्जैन : राष्ट्र सेविका समिति का पथ संचलन आज

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राष्ट्र सेविका समिति की उज्जैन जिला कार्यवाहिका दीपा पांडेय ने बताया कि इस वर्ष राष्ट्र सेविका समिति अपने 90वें वर्ष की ओर प्रवेश कर रही है। समिति की 500 बहनें लगातर अभ्यास में भाग ले रही हैं। पथ संचलन से पूर्व बौद्धिक राष्ट्र सेविका समिति की प्रांत शारीरिक प्रमुख निधि शर्मा देंगी। अध्यक्षता अल्पना दुभाषे करेंगी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जिले के उज्जैन, घट्टिया, घोंसला और महिदपुर की बहनें पथ संलचन में शामिल रहेंगी। उन्होंने बताया कि भारत में स्त्री को सशक्त करने की दिशा में राष्ट्र के प्रति संवेदना और प्रेम को प्रदर्शित करने हेतु हिन्दू राष्ट्र की कल्पना को मूर्त रूप प्रदान हो, इस कामना से वर्तमान में राष्ट्र सेविका समिति की सेविकाएं समाज के विभिन्न क्षेत्रों में पूर्ण निष्ठा व अनुशासन कार्य कर रही है।

यह रहेगा पथ संचलन मार्ग

पथ संचलन रविवार अपरांह 4 बजे क्षीरसागर उद्यान से निकाला जाएगा। यहां से सुभाषचंद्र बोस मार्ग,चरक हास्पिटल की ओर आगर रोड़ होकर चामुंडा माता मंदिर चौराहा, देवास गेट, मालीपूरा,दौलतगंज होकर नई सडक़, क्षीरसागर घाटी,मानस भवन के सामने से होकर पुन: क्षीर सागर उद्यान पहुंचेगा।

वर्ष 1936 में हुई थी राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना

उल्‍लेखनीय है कि राष्ट्र सेवा समिति की स्थापना वर्ष-1936 में विजयादशमी के दिन हुई थी। स्थापना लक्ष्मीबाई केलकर मौसीजी ने वर्धा में की थी। स्थापना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक परमपूज्य डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार की प्रेरणा से हुई थी। मौसीजी का मानना था कि राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी भी आवश्यक है। इसी सोच के साथ यह संगठन स्थापित हुआ। इसकी विचारधारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरह ही है,लेकिन संगठनात्मक ढांचा स्वतंत्र है। समिति अपनी शाखाओं के माध्यम से महिलाओं को शारीरिक प्रशिक्षण, आत्मरक्षा,सांस्कृतिक शिक्षा और सामाजिक सेवा के लिए प्रशिक्षित करती है।

समिति विभिन्न सामाजिक कार्यो में सक्रिय रूप से भाग लेती है। समिति के तीन सिद्धांत मातृत्व(सार्वभौमिक मातृत्व),कर्तव्य(दक्षता ओर सामाजिक सक्रियता) तथा नेतृत्व है। वर्तमान में समिति की भारत और विदेशों में हजारों शाखाएं संचालित हो रही हैं। ये लगातार सामाजिक ओर राष्ट्रीय उद्देश्यों के लिए काम कर रही हैं।