क्रिया शारीर विभाग के विभागाध्यक्ष एवं नाड़ी परीक्षा कोर्स के नोडल अधिकारी प्रोफेसर दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत ऑनलाइन मोड में सैद्धांतिक शिक्षण संपन्न हो गया है। अबे हैंड्स ऑन प्रशिक्षण सत्र का आयोजन महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में चल रहा है, जिसमें बीएएमएस, बीएनवाईएस एवं एमडी पाठ्यक्रमों के 30 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया है।
इस अवसर पर आज हैंड्स ऑन सत्र के तृतीय दिन नाड़ी विशेषज्ञ विनायक विठ्ठल तायड़े एवं डॉ. शिवांगी मिश्रा द्वारा रोगियों पर व्यावहारिक अभ्यास कराया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. (डॉ.) महेन्द्र कुमार आसेरी ने की। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली के निदेशक एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु प्रोफेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने नाड़ी विज्ञान की वर्तमान समय में उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा प्रतिभागियों को विशिष्ट मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि नाड़ी विज्ञान आयुर्वेद की आत्मा है। नाड़ी विज्ञान केवल रोग की पहचान नहीं, बल्कि व्यक्ति की समग्र अवस्था को समझने की कला है। जब तक विद्यार्थी इसे अनुभव के साथ नहीं सीखते, तब तक इसका सार अधूरा रह जाता है। इस दौरान योग नेचुरोपैथी महाविद्यालय के डॉ मारकंडेय बारहट की पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।