धनतेरस पर खरीदारी को शुभ बताया जाता है इसके कारण सोना-चांदी एवं बर्तनों की दुकानों पर देर रात्रि तक बाजारों में चहल-पहल रही। वहीं महिलाओं व बच्चों की भीड़ कपड़े की दुकान व घर को सजाने के लिये गुलदस्ते व रंगबिरंगी रंगोली सजाने के लिये रंग व तरह-तरह के आइटम खरीदते नजर आये। सुबह से ही धनतेरस के अवसर पर शहर के मुख्य बाजारों हनुमान चौराहा, लोहिया बाजार, सदर बाजार, सिकरवारी बाजार, शंकर बाजार, झण्डा चौक, पंसारी बाजार, स्टेशन रोड पर काफी तादाद में भीड़ देखी गई। सुबह से ही बर्तनों की दुकानों, सर्राफे बाजार में अत्यधिक भीड़ देखी गई।
हिन्दू मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन हर व्यक्ति कुछ न कुछ जरूर खरीदता है, जिसके कारण शनिवार को दिन भर बर्तन व सर्राफा व्यापारियों के यहां काफी भीड़ देखने को मिली। सुबह से ही खरीदी का सिलसिला शुरू हो गया जो देर रात तक चलता रहा। हजारों लोग अपने बजट के अनुसार इन बाजारों में खरीददारी करने पहुंचे। कोई सोना-चांदी तो कोई बर्तन तो कोई कपड़े, तो कोई वाहन तो कोई प्रोपर्टी, इलेक्ट्रोनिक उपकरण खरीदता नजर आया।
धनतेरस को भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा की जाती है। पुराणों में लिखी कथा के अनुसार देवताओं व दैत्यों ने जब समुद्र मंथन किया तो उसमें कई रत्न निकले। समुद्र मंथन के पश्चात भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। उसी दिन कार्तिक मास के कृष्णा पक्ष की त्रयोदशी भी थी। इसलिए तब से इस तिथि को भगवान धन्वतंरि का प्रकोत्सव मनाया जाने का चलन प्रारंभ हुआ। पुराणों में धन्वतंरि को भगवान विष्णु का अंशावतार माना गया है।