‘माँ पूर्णागिरी स्वयं सहायता समूह’ बना महिला सशक्तिकरण का प्रतीक

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इससे किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल रहा है, वहीं ग्रामीण महिलाओं के लिए स्थायी आजीविका के अवसर भी सृजित हुए हैं। हाल ही में समूह ने स्थानीय किसानों से 18 क्विंटल धान खरीदा है। इसे खुले बाजार में उचित मूल्यै पर बेचने की तैयारी चल रही है। इस कदम से किसानों को उनकी मेहनत का पूरा लाभ मिलेगा, जबकि समूह की सदस्य महिलाओं को आर्थिक मजबूती के साथ-साथ व्यावसायिक प्रबंधन का अनुभव भी प्राप्त होगा।

समूह की अध्यक्ष माया मेहर ने बताया कि इससे पहले उन्होंने स्थानीय काश्तकारों से 5 क्विंटल गडेरी (एक स्थानीय सब्जी) 40 रुपयेप्रति किलोग्राम की दर से खरीदी थी। इसे खुले बाजार में 55 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचकर समूह ने 10 रुपये प्रति किलोग्राम का लाभ कमाया। इस व्यापारिक सफलता ने समूह की महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाया है।माँ पूर्णागिरी स्वयं सहायता समूह की यह पहल एनआरएलएम के मूल उद्देश्यों को साकार कर रही है।

इसके तहत स्वयं सहायता समूह न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करते हैं, बल्कि ग्रामीण समाज में एक पारदर्शी और टिकाऊ विपणन व्यवस्था को भी बढ़ावा देते हैं। समूह की सदस्य महिलाएं अब अन्य कृषि उत्पादों के क्रय-विक्रय, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन से जुड़ी योजनाओं पर भी काम कर रही हैं। यह प्रयास ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण को नई दिशा देने का प्रमाण है, जो संगठित महिला शक्ति की क्षमता को दर्शाता है।