मध्‍य प्रदेश में कफ सिरप से मासूमों की मौत का सिलसिला जारी, संख्‍या 17 पहुंची, एनसीपीसीआर का कड़ा रुख

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उल्‍लेखनीय है कि कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ के सेवन से बच्चों की किडनी फेल होने के मामले ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। अब इस घटना की जड़ तक पहुंचने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) तमिलनाडु रवाना हो चुकी है।। कोल्ड्रिफ सिरप के सैंपल में डायथिलीन ग्लायकॉल की मात्रा 48.6 प्रतिशत पाई गई, जो बेहद खतरनाक और मानव शरीर के लिए घातक रसायन है। इसी के बाद तमिलनाडु सरकार ने तीन अक्टूबर को श्रेसन फार्मा कंपनी में उत्पादन पर तत्काल रोक लगा दी। अब मध्य प्रदेश पुलिस इस फैक्टरी की जांच करेगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि उत्पादन में कौन-सी गंभीर गड़बड़ी हुई और किन परिस्थितियों में यह जहरीला सिरप बाजार में पहुंचा।

छिंदवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अजय पांडे ने बताया कि एसआईटी मंगलवार को फैक्टरी पहुंचकर जांच करेगी और सिरप के निर्माण में प्रयुक्त रासायनिक तत्वों की पूरी पड़ताल करेगी। जांच दल यह भी देखेगा कि उत्पादन प्रक्रिया में लापरवाही कैसे हुई और इसमें किन-किन लोगों की भूमिका रही। उनके अनुसार, जांच के बाद एफआईआर में और धाराएं जोड़ी जाएंगी तथा आरोपित व्यक्तियों की संख्या बढ़ सकती है।

दरअसल, जहरीले कफ सिरप से हुई इन मौतों के पीछे प्रशासनिक सुस्ती भी उजागर हुई है। पहली मौत 4 सितंबर को दर्ज हुई थी, लेकिन जब मौतों का आंकड़ा दो अंकों में पहुंच गया और मामले ने मीडिया के जरिए तूल पकड़ा, तब जाकर प्रशासन ने कार्रवाई की। सोमवार को राज्य सरकार ने ड्रग कंट्रोलर दिनेश कुमार मौर्य को उनके पद से हटा दिया, जबकि डिप्टी ड्रग कंट्रोलर शोभित कोष्टा, छिंदवाड़ा के औषधि निरीक्षक गौरव शर्मा और जबलपुर के औषधि निरीक्षक शरद कुमार जैन को निलंबित कर दिया गया। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने पूरे प्रदेश में कफ सिरप की बिक्री पर रोक लगाने में देरी की, पर्याप्त सैंपलिंग नहीं की और जो सैंपल लिए गए उनकी जांच रिपोर्ट आने में भी अनावश्यक देरी की। यही लापरवाही मासूम जिंदगियों पर भारी पड़ी।

इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी इस पूरे मामले पर गंभीर संज्ञान लिया है। सोमवार को आयोग ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर बच्चों की मौतों की जांच करने और नकली या संदिग्ध दवाओं की बिक्री पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, औषधि नियंत्रक जनरल और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को भी सख्त आदेश दिया है कि वे देशभर में नकली दवाओं की आपूर्ति की गहन जांच करें। इसके साथ ही सभी क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को संदिग्ध दवाओं के नमूने एकत्र कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए गए हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्‍य प्रियंक कानूनगो ने कहा, “देश भर में कई स्थानों पर कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत की अत्यंत गंभीर घटना का संज्ञान ले कर सभी संबंधित राज्य सरकारों को संदिग्ध कफ सिरप की बिक्री तत्काल रोकने के निर्देश देते हुए जांच रिपोर्ट आहूत की है।राज्य सरकार व केंद्र सरकार की संबंधित एजेंसियों को उपरोक्त कफ सिरप की सैंपल टेस्टिंग कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश भी दिए हैं।इस मामले में लिप्त अथवा लापरवाह अफसरों एवं दवा कंपनी तथा अन्य लोगों से पूरी सख्ती से निपटा जाएगा।”

घटना के बाद हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकारों ने भी कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है। झारखंड सरकार ने तो इससे भी आगे बढ़ते हुए रेस्पीफ्रेश और रिलिफ कफ सिरप जैसे अन्य ब्रांड्स की बिक्री भी प्रतिबंधित कर दी है।

इससे पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हालात की गंभीरता को देखते हुए अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर सोमवार को खुद परासिया पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि यह दुख केवल प्रभावित परिवारों का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश का है। मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवारों को ढांढस बंधाते हुए कहा, “यह आपकी नहीं, मेरी और हम सबकी पीड़ा है। आपके बच्चों का दुख मेरा भी है। दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने कहा कि इस घटना ने सरकार को गहराई से झकझोर दिया है और अब प्रदेश में इस तरह की त्रासदियों की पुनरावृत्ति रोकना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।मुख्यमंत्री ने मौके पर ही कई सख्त फैसले लिए और जिम्‍मेदारों को तत्‍काल उसके पद से हटाने के आदेश दिए।

गौरतलब है कि भारत सरकार के डीसीजीआई और सीडीएससीओ द्वारा पहले ही यह स्पष्ट किया जा चुका है कि क्लोरफेनिरामिन मेलिएट और फिनाइलएफ्रिन एचसीआई का संयोजन चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। साथ ही दवा के लेबल पर यह चेतावनी लिखना अनिवार्य है। लेकिन श्रेसन फार्मा ने इन नियमों की खुलेआम अवहेलना की। इसी कारण राज्य शासन ने कंपनी और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। वहीं, अब सबकी निगाहें जांच के नतीजों पर टिकी हैं, ताकि मासूमों की मौत का यह सिलसिला थमे और दोषियों को कठोरतम सजा मिले।