मामले से जुडे अधिवक्ता राजेश महर्षि ने बताया कि प्रार्थी कई सालों से बस्सी सीतारामपुरा में रह रहे थे। इस दौरान पिछली कांग्रेस सरकार ने प्रार्थियों को पट्टे जारी कर दिए, लेकिन इस साल हेरिटेज नगर निगम में शिकायत दर्ज हुई कि प्रार्थियों के पक्ष में जारी किए पट्टों में अनियमितताएं हुई हैं। इस आधार पर नगर निगम ने 7 अगस्त 2025 को एक पब्लिक नोटिस निकाला और इन पर आपत्तियां मांगी। वहीं बाद में आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं के पक्ष में जारी किए पट्टों को निरस्त कर दिया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि नगर निगम ने पट्टा निरस्त करने में तय प्रक्रिया नहीं अपनाई है और नगर पालिका अधिनियम की धारा 73 बी के तहत उन्हें सुनवाई का मौका नहीं दिया है। हेरिटेज नगर निगम की यह कार्रवाई प्राकृतिक न्याय के प्रावधानों के भी खिलाफ है। इसलिए नगर निगम की ओर से उनके भूखंडों के पट्टे निरस्त करने के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने निगम के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।