मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभाग की प्राथमिक जांच में सामने आया कि दुर्घटनाग्रस्त बस (आरजे 09 पीए 8040) का पंजीयन, फिटनेस, बीमा और परमिट तो वैध थे, लेकिन बस बॉडी मानक एआईएस-119 की पालना नहीं की गई थी। बस का पंजीयन एक अक्टूबर 2025 को जिला परिवहन अधिकारी चित्तौड़गढ़ कार्यालय से किया गया था।
प्रारंभिक जांच में लापरवाही सामने आने पर मोटर वाहन निरीक्षक सुरेन्द्र सिंह गहलोत और सहायक प्रशासनिक अधिकारी चुन्नीलाल नागदा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर मुख्यालय जयपुर भेज दिया गया है।
दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रस्तावित की गई है।
वहीं, वाहन मालिक की दो अन्य बसों को भी बस बॉडी कोड का उल्लंघन पाए जाने पर जब्त किया गया है। हादसे में शामिल बस की बॉडी जैमन कोच क्राफ्टर जोधपुर द्वारा बनाई गई थी। इस बॉडी निर्माता की भी विस्तृत जांच जोधपुर की परिवहन टीम द्वारा की जा रही है।
इसी दिन जयपुर में बाल वाहिनी की दुर्घटना के मामले में भी बड़ी कार्रवाई हुई है। जांच में पाया गया कि वाहन का पंजीयन, फिटनेस, बीमा और परमिट समाप्त होने के बाद भी उसका संचालन किया जा रहा था।
इस लापरवाही पर परिवहन निरीक्षक अविनाश चौहान और मानवेन्द्र डोई को निलंबित कर दिया गया है।
राज्यभर में यात्री बसों, विशेषकर स्लीपर बसों की व्यापक जांच शुरू कर दी गई है।
परिवहन विभाग ने सभी प्रादेशिक अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि बस बॉडी बिल्डिंग कोड और परिवहन नियमों की कड़ी जांच की जाए।
अभियान के तहत अब तक 11 अमानक बसें जब्त की गई हैं और 18 बसों के चालान बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि यात्री सुरक्षा से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने निर्देश दिए कि बस संचालन में मानक नियमों की सख्त पालना सुनिश्चित की जाए और दोषी अधिकारियों व बस मालिकों पर कठोर कार्रवाई की जाए।