कई ब्लॉकों में बीएमओ हरकत में आए, छापेमारी हुई, क्लिनिक सील किए गए। लेकिन रामानुजगंज ब्लॉक में जैसे सबकुछ थम गया। यहां न कोई टीम बनी, न छापा पड़ा, मानो इस क्षेत्र पर कार्रवाई निषिद्ध का बोर्ड टंगा हो। क्या इन फर्जी डॉक्टरों के पीछे कोई ऐसी अदृश्य ताकत है जो हर कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल देती है?
जिले में कई ऐसे डॉक्टर हैं जो एक शाखा की डिग्री लेकर दूसरी पद्धति से इलाज कर रहे हैं। दवा सादे पन्नों पर लिखी जाती है। बिना नाम, बिना डिग्री। मतलब सबूत मिटाओ और कानून को ठेंगा दिखाओ। यह सिर्फ नियमों की अनदेखी नहीं, बल्कि मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ है।
उल्लेखनीय है कि, रामानुजगंज और कुर्लूडीह की ये तस्वीरें सिर्फ खबर नहीं, व्यवस्था का आईना हैं। जहां लापरवाही ने इंसानियत को शर्मिंदा कर दिया है। अब वक्त है कि स्वास्थ्य विभाग फाइलों से बाहर निकले, और ऐसे मुन्नाभाई एमबीबीएस पर सख्त कार्रवाई करे। वरना अगली बार सुर्खियां किसी और मासूम की मौत से लिखी जाएंगी।
इस पूरे मामले पर सीएमएचओ डॉक्टर बसंत सिंह ने कहा कि, कुर्लूडीह में बिना अनुमति के संचालित क्लिनिक की शिकायत मिली है, बीएमओ को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।