राष्ट्रपति मुर्मु मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय (एनडीसी) के 65वें कोर्स के संकाय और कोर्स सदस्यों को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था उसके राष्ट्रीय हितों और उद्देश्यों पर आधारित होती है, लेकिन भारत के लिए सार्वभौमिक मूल्य और मानवता की भावना इन हितों के केंद्र में हैं। भारतीय परंपरा ने हमेशा पूरी मानवता को एक परिवार के रूप में देखा है।
उन्होंने कहा कि भारत की सेनाएं न केवल शांति और सार्वभौमिक भाईचारे की पक्षधर हैं, बल्कि वे मानवता और राष्ट्र के विरोधी तत्वों से निपटने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। उन्होंने इस संदर्भ में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को त्रि-सेवा सहयोग और रणनीतिक दृष्टि का प्रतीक बताया।
राष्ट्रपति ने कहा कि संयुक्तता को बढ़ावा देने की प्रक्रिया सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति से शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि अब इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड्स और इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स की स्थापना की दिशा में कार्य जारी है।
राष्ट्रपति ने बदलते भू-राजनीतिक और सुरक्षा परिदृश्य में गतिशील प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि भारत अपनी सेनाओं को तकनीकी रूप से सशक्त, बहु-क्षेत्रीय एकीकृत अभियानों में सक्षम बल में बदलने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम अब एक मानक शिक्षण पहल बन चुका है, जो सुरक्षा से जुड़े राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग को मजबूत कर रहा है।
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