समापन अवसर पर जिलाधिकारी मनीष कुमार ने प्रतिभागियों को आइएफसी की अवधारणा, उद्देश्य और व्यवहारिक महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण आजीविका को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्लस्टर स्तर पर नवाचार, तकनीकी दक्षता और गुणवत्तापरक उत्पादन अत्यंत आवश्यक हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रत्येक क्लस्टर को मॉडल इकाई के रूप में विकसित कर आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए।
प्रशिक्षण में चंपावत, लोहाघाट और पाटी विकास खंडों से चयनित आइएफसी स्टाफ एवं बदलाव सखियों ने भाग लिया। एनआईआरडी हैदराबाद के नेशनल रिसोर्स पर्सन बृजमोहन कांडपाल ने प्रतिभागियों को उत्पाद की गुणवत्ता निर्धारण, लागत व मूल्य निर्धारण, व्यवसाय योजना निर्माण तथा के दीर्घकालिक संचालन जैसे विषयों पर व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी मनीष कुमार और सहायक परियोजना निदेशक, डीआरडीए विमि जोशी ने स्वयं सहायता समूहों द्वारा प्रदर्शित उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और महिलाओं के कार्यों की सराहना की। समापन सत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले एनआरएलएम कैडरों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर खंड विकास अधिकारी लोहाघाट कवीन्द्र सिंह रावत, जिला थीमैटिक विशेषज्ञ कैलाश चन्द्र शर्मा, ग्रामीण वित्त समन्वयक चन्द्रशेखर भट्ट, सहायक खंड विकास अधिकारी उमाकान्त पन्त कार्यक्रम संचालक सहित चारों विकास खंडों के ब्लॉक मिशन प्रबंधक, क्षेत्रीय समन्वयक एवं कुल 36 प्रतिभागी उपस्थित रहे।