हिंदू मान्यता के अनुसार छठ व्रत को करने से व्यक्ति को सुख व सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। पूरे साल छठी मैया की कृपा बरसती रहती है। इस महापर्व का शुभारंभ 25 अक्टूबर को नहाय खाय से होगा और इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष विशेष रूप से लौकी भात का सेवन करेंगे। इस व्रत का दूसरा दिन खरना कहलाता है। 26 अक्टूबर को इस दिन लोग संझवत की परंपरा को निभाते हुए जल स्थान पर जाकर स्नान, ध्यान करने के बाद दीपक जलाते है। इसके बाद छठ पूजा के दिन संध्याकालीन अघ्र्य दिया जाएगा। 27 अक्टूबर यानि छठ पूजा के तीसरे दिन भगवान सूर्य को संध्याकालीन अघ्र्य दिया जाएगा और 28 अक्टूबर को छठ पूजा के आखिरी दिन उगते हुए सूर्य देवता को प्रात:कालीन अघ्र्य देकर साधक अपने व्रत को पूर्ण करते हैं। पूर्वांचल प्रकोष्ठ के प्रधान संतोष कुमार ने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी छठ महापर्व को धूमधाम से मनाया जाएगा। अभी तक हांसी ब्रांच नहर में पानी नहीं आया है। ऐसे में कुछ लोग रानी तालाब में तथा कुछ पांडु पिंडारा के तीर्थ में सूर्य को अघ्र्य देेंगे। उनकी प्रशासन से मांग है कि हांसी ब्रांच नहर में पानी छोड़ा जाए ताकि वो छठ पर्व को श्रद्धा से मना सकें और कोई परेशानी न हो।
शहर के बीचोंबीच गुजर रही हांसी ब्रांच नहर पर विशेषकर छठ पूजा के लिए डिप्टी स्पीकर डा. कृष्ण मिड्ढा ने दो घाट भी बनवाएं हैं। पहली बार यह घाट बनकर तैयार हुए हैं लेकिन अभी तक नहर में पानी ही नहीं है। ऐसे में एकमात्र शहर में रानी तालाब ही है, जहां पर यह लोग सूर्य को अघ्र्य देंगे। यहां पर भीड़ अधिक होने से परेशानी का सामना करना पड़ेगा।