मुख्यमंत्री ने बताया कि मौसम विभाग ने 28, 29 और 30 अक्टूबर को बादलों की उपस्थिति की संभावना जताई है। यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं, तो 29 अक्टूबर को दिल्ली पहली कृत्रिम बारिश का अनुभव करेगी। उन्होंने कहा कि यह पहल न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से ऐतिहासिक है, बल्कि दिल्ली में प्रदूषण से निपटने का एक वैज्ञानिक तरीका भी स्थापित करने जा रही है। सरकार का उद्देश्य है कि इस नवाचार के माध्यम से राजधानी की हवा को स्वच्छ और वातावरण को संतुलित बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने इस प्रयास को सफल बनाने में लगे दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और सभी अधिकारियों को शुभकामनाएं दी।
मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा आज एक विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और आशीर्वाद तथा मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली ने आज प्रदूषण नियंत्रण में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की । उन्होंने बताया कि आज अपनी पहली क्लाउड सीडिंग परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक संपन्न की। यह उड़ान 28-30 अक्टूबर के बीच होने वाले कृत्रिम वर्षा अभियान का अहम हिस्सा थी।
यह उड़ान दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग और आईआईटी कानपुर के संयुक्त प्रयास से संचालित की गई, जिसमें विमान, सीडिंग फ्लेयर्स और सभी संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय की तैयारियों का परीक्षण किया गया।
सिरसा ने कहा कि आज की उड़ान तकनीकी रूप से पूरी तरह सफल रही। हमने सभी आवश्यक परीक्षण — फ्लेयर टेस्ट, फिटमेंट जांच और समन्वय प्रोटोकॉल — सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं।
मंत्री सिरसा ने बताया कि यह परीक्षण उड़ान आईआईटी कानपुर हवाई पट्टी से शुरू होकर कानपुर → मेरठ → खेकरा → बुरारी → सड़कपुर → भोजपुर → अलीगढ़ → कानपुर के मार्ग से हुई।
खेकरा और बुरारी के बीच क्लाउड सीडिंग फ्लेयर्स सफलतापूर्वक फायर किए गए, साथ ही विमान की कार्यक्षमता, उपकरणों की स्थायित्व और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरी तरह मूल्यांकन किया गया।
मंत्री ने आगे कहा कि दिल्ली अपनी पहली कृत्रिम वर्षा अनुभव करने के लिए तैयार है। सभी सिस्टम — विमान से लेकर मौसम और पर्यावरण निगरानी तक — पूरी तरह तैयार हैं। अब केवल उपयुक्त बादलों का इंतजार है, जो 29–30 अक्टूबर के बीच होने वाले वास्तविक सीडिंग के लिए अनुकूल होंगे।
पायलट की रिपोर्ट और विंडी प्रोफेशनल सिस्टम के डेटा के अनुसार, आज दिल्ली के आसमान में अधिक बादल नहीं थे, केवल बुरारी के पास दो छोटे बादल के क्षेत्र परीक्षण के लिए पहचाने गए। इन क्षेत्रों में फ्लेयर्स सफलतापूर्वक फायर किए गए, जिससे विमान और सीडिंग उपकरण की संचालन क्षमता की पुष्टि हुई।
उड़ान पाइरो विधि के जरिए संचालित की गई, जिसमें विशेष रूप से डिजाइन किए गए फ्लेयर्स जिनमें सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिक होते हैं, विमान से छोड़े गए और वातावरण में उत्सर्जित किए गए। यह तकनीक पर्याप्त नमी होने पर संघनन और बादल निर्माण को बढ़ावा देती है। यह सफल परीक्षण उड़ान दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के वैज्ञानिक दृष्टिकोण में एक मील का पत्थर साबित हुई। सभी तैयारी पूरी होने के बाद, राजधानी अब 28–30 अक्टूबर के बीच पूर्ण पैमाने पर क्लाउड सीडिंग और कृत्रिम वर्षा परीक्षण के लिए तकनीकी रूप से तैयार है — यह दिल्ली के लिए पहली बार है।
सिरसा ने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली के विज्ञान और नवाचार को अपनाने के संकल्प को दर्शाती है। पर्यावरण विभाग आईआईटी कानपुर और विमानन प्राधिकरणों के साथ मिलकर आगामी उड़ानों के लिए निगरानी और समन्वय जारी रखेगा।