छठ पूजा पर देशभर में 38,000 करोड़ रुपये का व्यापार होने का अनुमान : कैट

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– देशभर में छठ पूजा की धूमः आस्था, स्वच्छता और स्वदेशी का अद्भुत संगम

– खंडेलवाल ने कहा-इस बार लगभग 15 करोड़ लोग देश में मनाएंगे छठ पूजा

नई दिल्‍ली, 23 अक्‍टूबर । सूर्य उपासना का महान पर्व छठ पूजा पूरे देश में आस्था, श्रद्धा और भव्यता के साथ 25 अक्टूबर से मनाया जाएगा। 4 दिनों तक चलने वाले सूर्य देव की उपासना के इस पावन त्योहार को लेकर व्यापारियों और स्थानीय उद्योगों में भी उत्साह देखने को मिल रहा है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इसबार छठ पूजा के दौरान देशभर में लगभग 38 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद जताईं है, पिछले साल छठ पूजा में लगभग 31,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि देशभर में चार दिवसीय सूर्य उपासना का महान पर्व छठ पूजा पूरे देश में आस्था, श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। इस पर्व पर करीब 15 करोड़ श्रद्धालु महिलाएं एवं पुरुष पूरे देश में व्रत, स्नान, अर्घ्य और पूजा के पारंपरिक विधान में शामिल हो रहे हैं।

उन्‍होंने बताया कि इस वर्ष छठ पूजा के अवसर पर देशभर में लगभग 38,000 करोड़ रुपये का व्यापार होने का अनुमान है। पिछले वर्ष यह आंकड़ा लगभग 31,000 करोड़ रुपये और 2023 में लगभग 27,000 करोड़ रुपये था, जिससे यह स्पष्ट है कि हर वर्ष छठ पर्व के मौके पर व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। वहीं, नई दिल्ली में छठ पूजा पर करीब 6 हज़ार करोड़ से अधिक के व्यापार होने की उम्मीद है।

कैट महामंत्री ने कहा कि छठ पूजा से संबंधित प्रमुख वस्तुओं में सुप, दौरा, डलिया, मिट्टी के दीपक, बांस की टोकरी, सूप और सुथनी, फल विशेषकर केला, नारियल, सेब, गन्ना, नींबू, गेहूं और चावल का आटा, मिठाइयां, प्रसाद के लिए ठेकुआ और खजूर, पूजा सामग्री, साड़ी और पारंपरिक वस्त्र, सजावट सामग्री, दूध और घी, पूजा पात्र, टेंट व सजावट के सामान, ट्रांसपोर्ट एवं आतिथ्य सेवाएं आदि हैं। वहीं पारंपरिक परिधान जैसे साड़ियां, लहंगा-चुन्नी, सलवार-कुर्ता (महिलाओं के लिए) और कुर्ता-पायजामा, धोती (पुरुषों के लिए) की बाजार में खरीदारी भी बड़े पैमाने पर हो रही है, जिससे स्थानीय व्यापारियों और लघु उद्योगों को सीधा लाभ मिल रहा है। इसके साथ ही हस्तनिर्मित स्वदेशी वस्तुएं भी बड़ी मात्रा में बिक रही हैं।

उन्‍होंने बताया कि यह पर्व भारतीय संस्कृति में सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का अद्वितीय उदाहरण है, जो शुद्धता, स्वच्छता, संयम और आत्मानुशासन का प्रतीक है। एक जमाने में केवल बिहार के लोग ही इस पर्व को मनाते थे, लेकिन अब यह पर्व अन्य राज्यों में भी रहने वाले लोगों द्वारा भी मनाया जाता है, क्योंकि यह प, जिसमें अस्ताचल और उदयाचल सूर्य दोनों की उपासना की जाती है, भारतीय संस्कृति की समावेशी भावना का प्रतीक है।

खंडेलवाल ने कहा कि देश के विभिन्न राज्य जहां छठ पूजा सबसे अधिक भव्यता से मनाई जाती है उसमें बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र, विदर्भ, मध्य प्रदेश शामिल हैं वहीं इसके साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में कामकाज और रोजगार के लिए बसे पूर्वांचली समाज के लोग भी छठ पूजा में पूरी श्रद्धा से सम्मिलित होते हैं।

उन्‍होंने कहा कि इस वर्ष दिल्ली में भी छठ पूजा के विशेष प्रबंध किए गए हैं, जिसमें दिल्ली सरकार द्वारा लगभग 1500 घाटों का निर्माण किया गया है। दिल्ली के घाटों जैसे यमुना घाट,वासुदेव घाट, लाल बाग, मुनक नहर, कालिंदी कुंज, वज़ीराबाद, मजनूं का टीला, मुनक नहर,गीता कॉलोनी आदि पर लाखों श्रद्धालु पहुंचकर अर्घ्य अर्पित कर पूजा करेंगे। देशभर में नदी, तालाब और जलाशयों के किनारे छठ घाटों पर विशेष सजावट की गई है।

खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली, जहां बड़ी संख्या में पूर्वांचली समुदाय निवास करता है, जो छठ पूजा अत्यंत धूमधाम से मनाता है। खंडेलवाल ने कहा, “छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, जो सामाजिक एकता और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व व्यापार को भी प्रोत्साहित करता है और स्थानीय उत्पादकों को सीधा लाभ पहुंचाता है। इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को बल मिलता है।”

उन्होंने कहा कि छठ पूजा में उपयोग की जाने वाली अधिकांश वस्तुएँ स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा निर्मित होती हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और देश के कुटीर उद्योग को मज़बूती मिलती है। खंडेलवाल ने कहा कि छठ पूजा भारतीय संस्कृति की सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक परंपराओं में से एक है, जो प्रकृति और मानव के गहरे संबंध को दर्शाती है। “छठ पूजा केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि यह स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, आत्मसंयम और सामाजिक एकता का पर्व है। इस पर्व पर देश के व्यापारी ‘स्वदेशी उत्पादों’ की बिक्री को बढ़ावा देकर प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत’ एवं स्वावलंबी भारत के अभियान को सशक्त कर रहे हैं।”