मां दुर्गा के नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की लिए मंदिरों और पंडालों में उमड़ी भीड़

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नौवें दिन कन्या पूजन का भी विधान है और इस विधान के तहत नवरात्र में नौ दिनों तक भूखे रहकर साधना में लीन तपस्वियों ने अपने अपने घरों में कन्या पूजन कर उन्हें भोग लगाते हुए भोजन कराया। कन्या पूजन उपरांत उन्हें दक्षिणा और श्रृंगार का समान भक्तों द्वारा भेंट किया गया। नौवें दिन खिचड़ी का मां को महाभोग भी लगाया गया। महाभोग प्रसाद प्राप्त करने के लिए पूजा पंडालों में भक्तों की भीड़ उमड़ी रही।

शारदीय नवरात्र के नौवें स्वरूप की चर्चा करते हुए पंडित प्रमोद मिश्रा ने बताया कि नवरात्र के आखिरी यानी नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना का विधान है। मां सिद्धिदात्री के स्वरूप में माता सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और चार भुजाओं वाली हैं। इस स्वरूप में देवी ने अपने एक हाथ में शंख, दूसरे में गदा, तीसरे में कमल और चौथे हाथ में च्रक धारण किया हुआ है। मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के समान सिंह की सवारी करती हैं। भोग के रूप में देवी को लवा, पूड़ी और चना अर्पित की जाती है। इसके बाद दीपक जलाकर माता की आरती के बाद भक्तों के बीच में प्रसाद वितरित की जाती है। इस दिन पर 9 कन्याओं का पूजन कर अपने व्रत का पारण करते हैं और हवन का भी आयोजन करते हैं। पूजा में देवी के इस स्वरूप को रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई नारियल और चुनरी आदि अर्पित की जाती है।