उन्होंने प्रथम सत्र में विशिष्ट पैनल सदस्य के रूप में भाग लिया और अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि भविष्य का विश्वविद्यालय इस मूलभूत प्रश्न का उत्तर देने में सक्षम होना चाहिए कि शिक्षा सबके लिए, हर समय और हर स्थान पर कैसे उपलब्ध कराई जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों, उद्योग, अभिभावकों और सरकार जैसे सभी प्रमुख हितधारकों की अपेक्षाओं को समझना और उन्हें विश्वविद्यालय की दृष्टि व कार्यप्रणाली में शामिल करना समय की आवश्यकता है।
सम्मेलन चार पैनलों में आयोजित किया गया। जिसमें उच्च शिक्षा की बदलती रूपरेखा और हितधारकों की अपेक्षाएं। अंतःविषय पाठ्यचर्या विकास, शिक्षण पद्धति और कृत्रिम बुद्धिमत्ता। अंतःविषय शिक्षा हेतु संस्थागत सुशासन। वैश्विक भारतीय विश्वविद्यालय का रोडमैप शामिल रहे।
इस अवसर पर प्रो. अवस्थी ने कहा कि विश्वविद्यालयों को एआई, इमर्सिव तकनीक और डेटा एनालिटिक्स को शिक्षा में अपनाकर इसे व्यक्तिगत और भविष्य उन्मुख बनाना होगा। उन्होंने उच्च शिक्षा को हाइब्रिड व लचीली पद्धति के माध्यम से माइक्रो-क्रेडेंशियल्स और मॉड्यूलर कोर्सेज की दिशा में ले जाने पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थानों को विद्यार्थी-प्रथम दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिसमें रोजगार, समावेशिता, बहुविषयकता और समग्र कल्याण शामिल हो।
प्रो. अवस्थी ने उद्योग–अकादमिक सहयोग को आवश्यक बताते हुए कहा कि उद्योग को उद्योग-तैयार स्नातक और स्नातकोत्तर विद्यार्थी चाहिए। उन्होंने सुशासन सुधार और नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप लचीले संस्थागत मॉडल को वैश्विक मानकों के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि आने वाले समय के विश्वविद्यालय नवाचार और अंतःविषय ज्ञान के केंद्र होने चाहिए, जो विद्यार्थियों को सार्थक, जिम्मेदार और सतत योगदान हेतु तैयार करें।