कोश्यारी हुए धामी के मुरीद, बोले- धामी सरल और मृद भाषी

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उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में धामी सरकार की उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है। धामी एक मुख्यमंत्री के तौर पर सफल और लोकप्रिय साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि ये सबसे बड़ी उपलब्धि है कि विपक्षी नेता ही नहीं, बल्कि कार्यकर्ता तक व्यक्तिगत तौर पर सीएम धामी की आलोचना नहीं करते।।

देहरादून में संस्कृति, साहित्य व कला परिषद की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी में कोश्यारी ने कहा कि सीएम धामी के व्यवहार में सरलता है। वह जहां सेे भी अच्छे गुण मिलते हैं, उन्हें अंगीकार कर लेते हैं। निर्णयों को लागू करने में यदि सख्ती की आवश्यकता होती है, तो वह इसी अनुरूप पेश आते हैं। लोगों से मिलने, जुलने और संवाद स्थापित करने में उनकी विनम्रता की हर कोई तारीफ करता है।

उन्होंने तुलसीदास के एक दोहे का जिक्र करते हुए कहा-तज दे बचन कठोर। राजनीति में मीठा होना बहुत कठिन होता है, लेकिन सीएम धामी को चार वर्षों में कठोर बोलते हुए किसी ने नहीं देखा है। हालांकि राज-काज चलाने के लिए जहां जरूरी होता है, वह सख्ती बरतते हैं। उन्होंने योजनाओं के सफल क्रियान्वयन और इनमें जनसहभागिता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि सरकार विकास की राह में तेजी से बढ़ रही है।

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की कमेटी की सदस्य रहीं दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल ने कहा कि यूसीसी पर सीएम धामी ने जो कदम उठाया, वह बेहद साहसिक था। इससे जुड़ी चुनौतियों और आशंकाओं का पूर्व अनुमान था, लेकिन उत्तराखंड ने इसे कर दिखाया। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उत्तराखंड में बेहतर ढंग से लागू करने के लिए धामी सरकार बढ़िया ढंग से काम रही है। उन्होंने कहा कि चाहे स्कूली शिक्षा हो, उच्च शिक्षा हो या फिर दूरस्थ शिक्षा ही क्यों न हो, उत्तराखंड ने पिछले चार वर्षों में बहुत अच्छी स्थिति प्राप्त की है।

यूकाॅस्ट के महानिदेशक प्रो दुर्गेश पंत ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार में सरकार बेहद दिलचस्पी लेकर काम कर रही है। खुद सीएम धामी समय-समय पर इस संबंध में योजनाओं की माॅनीटरिंग कर रहे हैं। यही वजह है कि देश की पांचवीं साइंस सिटी उत्तराखंड में अगले साल तक अस्तित्व में आ जाएगी।