कमलनाथ ने गुरुवार काे साेशल मीडिया एक्स पर पाेस्ट कर लिखा इंदौर का एमवाय अस्पताल, जहाँ एनआईसीयू में चूहों के आतंक से दूसरी नवजात की मौत हो गई। सवाल यह है कि जिस वार्ड में इंसानों के अलावा कुछ भी ले जाना मना है, वहाँ चूहों की मौजूदगी कैसे संभव है? यह कोई साधारण लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की सच्चाई है। कमलनाथ ने कहा कि अस्पताल प्रशासन का रवैया इतना ढीला है कि मौत के बाद भी अधिकारी छुट्टियों और इंटरव्यू में व्यस्त पाए गए। विभागाध्यक्ष से लेकर यूनिट प्रभारी तक ने कंधे झाड़ लिए और नोटिस जारी कर अपना पल्ला झाड़ लिया। मुख्यमंत्री तक को कहना पड़ा कि “लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे”, लेकिन हकीकत यह है कि यही लापरवाही दो नन्हीं जानें निगल चुकी है। उन्हाेंने निशाना साधते हुए कहा कि इन मासूम मौतों को ‘दुर्घटना’ या ‘लापरवाही’ कहकर टाला नहीं जा सकता। यह सीधा-सीधा अपराध है। जब अस्पताल के अंदर चूहे खुलेआम दौड़ रहे हैं, नवजातों पर हमला कर रहे हैं, तो यह प्रशासन की पूरी विफलता है। ऐसे हालात में अस्पताल इलाज़ का नहीं बल्कि मौत का पर्याय बन चुका है।
बीजेपी सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था दम तोड़ चुकी है
पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि विपक्ष लगातार कहता रहा है कि बीजेपी सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था दम तोड़ चुकी है। इंदौर की यह शर्मनाक घटना इस आरोप को सही साबित करती है। जब राजधानी और बड़े शहरों के अस्पतालों की यह हालत है, तो छोटे ज़िलों की स्थिति का अंदाज़ा सहज लगाया जा सकता है। उन्हाेंने कहा कि यह घटना सिर्फ़ दो मासूमों की मौत नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए चेतावनी है। सवाल यह है कि क्या सरकार दोषियों पर सख़्त कार्रवाई करेगी या फिर नोटिस और बयानबाज़ी में ही मामला रफा-दफा कर देगी? अगर अस्पताल मौत के अड्डे बन गए तो आम जनता इलाज़ के लिए कहाँ जाएगी?
————