राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने अपने संबोधन में डॉ. श्रीवास्तव के साहित्य के क्षेत्र में दिए गए अनुकरणीय योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि महापुरुष खुद बनते हैं, उन्हें बनाया नहीं जा सकता और डॉ. श्रीवास्तव जैसे व्यक्ति व्यक्तिगत हितों को छोड़कर धरती पर पैदा होते हैं।
बुंदेली संस्कृति और पर्यटन पर जोर
लोधी ने बुंदेलखंड के गौरवशाली इतिहास का उल्लेख किया, जिसमें आल्हा-ऊदल जैसे वीर योद्धा और रामराजा सरकार की परंपरा शामिल है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे बुंदेलखंड की संस्कृति को मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि भारत और विश्व पटल पर आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जबलपुर और बुंदेलखंड में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं।
कलम की ताकत का सम्मान
संस्कृति मंत्री लोधी ने साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “मुर्दा है वह देश जहाँ साहित्य नहीं है”। उन्होंने साहित्यकारों को समाज का सच्चा पथ-प्रदर्शक बताया, जो हकीकत लिखने से कभी नहीं हिचकिचाते। उन्होंने कहा कि अब देश को जीतने के लिए तलवार की नहीं, बल्कि कलम की ताकत की ज़रूरत है, जो किस्मत के सितारों को बुलंद कर सकती है।
समारोह में डॉ. श्रीवास्तव की पुस्तक का विमोचन भी किया गया और सभी उपस्थित साहित्यकारों, कला प्रेमियों और जनप्रतिनिधियों का स्वागत और सम्मान किया गया।