संसदीय व्यवस्था में चुनावों से राष्ट्र का भाग्य तय होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है। भारत के लोग ही भारत के भाग्य विधाता हैं। निष्पक्ष चुनावों से लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होती है। जन गण मन का शासन मिलता है। भारतीय शासन प्रणाली में संसदीय जनतंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। लोकतंत्र जनता के द्वारा जनता के लिए है। इन निष्पक्ष चुनाव के लिए राष्ट्रपति द्वारा एक चुनाव आयोग के गठन का अधिकार है। यह अधिकार संविधान के भाग 15 में दिया गया है। चुनाव आयोग की नैतिक जिम्मेदारी होती है कि वह निष्पक्ष चुनाव की व्यवस्था बनाए। निष्पक्ष चुनाव कराए। राजनीतिक दल चुनावों में भागीदारी करते हैं। बहुमत या गठबंधन से सरकारें बनाते हैं। कई बार गठबंधन से बनने वाली सरकारों पर सौदेबाजी के आरोप लगते हैं। संविधान प्रत्येक वयस्क भारतीय को मताधिकार का अधिकार देता है।
विषय बिहार राज्य के संभावित विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित है। निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कर नई मतदाता सूची बनाई जाएगी। इसी नई मतदाता सूची के पुनरीक्षण कराए जाने में निर्वाचन आयोग और विपक्षी दलों के बीच विवाद है। वे केंद्र सरकार पर हमलावर है। प्रकरण उच्चतम न्यायालय में है। निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची के “गहन पुनरीक्षण” में बड़ी संख्या में नामों को अलग किया है। इसमें कुछ घुसपैठिये भी हैं। इसकी संख्या 65 लाख बताई जाती है। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि निर्वाचन आयोग 65 लाख नाम जो मतदाता सूची में गलत पाए गए हैं उन्हें आयोग उनके नाम और उनको बाहर करने का कारण सार्वजनिक जारी करे। मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का यह प्रकरण इसलिए गहराया कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कई बार अनेक स्थानों पर निर्वाचन आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाए हैं। यह आरोप मीडिया में सनसनी बने। सत्ता पक्ष ने इन आरोपों का खंडन किया है। निर्वाचन आयोग ने इस पर अपनी राय रखने और तथ्यपरक जानकारी राष्ट्र के सामने रखने में कोताही बरती है। यहां यह ध्यान देने योग्य है कि वोट चोरी जैसे शब्दों के प्रयोग ने निर्वाचन आयोग को आहत किया गया है। एसआईआर प्रकरण अभी भी उच्चतम न्यायालय में है।
भारतीय संविधान के भाग 15 अनुच्छेद 324 में संविधान के अधीन संसद और प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए तथा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के लिए निर्वाचन नामावली तैयार करने और निर्वाचनों के लिए एक आयोग होगा। इसे संविधान में निर्वाचन आयोग कहा गया है। अनुच्छेद 325 में धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर किसी व्यक्ति का निर्वाचन नामावली में नाम सम्मिलित किए जाने का अपात्र न होना और उसके द्वारा किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित किए जाने का दावा न किया जाना लिखा है। संसद या किसी राज्य के विधान मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिए निर्वाचन के लिए प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन के लिए एक साधारण निर्वाचक नामावली होगी। अनुच्छेद 326 में लोकसभा, विधानसभा के लिए निर्वाचन मताधिकार के आधार पर होंगे, अर्थात प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है। 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका है। समुचित विधानमंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन चित्त विकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा अयोग्य नहीं कर दिया जाता है। मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत का हकदार होगा। अनुच्छेद 327 और 328 में कहा गया है, कि संविधान के उपबंधों के अधीन समय-समय पर संसद विधानमंडल सदन के लिए निर्वाचन नामावली निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन शामिल है। उस राज्य के विधान मंडल सदन के लिए संबंधित सभी विषयों जिसके अंतर्गत निर्वाचक नामावली तैयार कराना सदनों के सम्यक गठन सुनिश्चित करने की व्यवस्था है।
स्पष्ट रूप से भारत का प्रत्येक नागरिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में सहयोग करेगा। मताधिकार का हकदार होगा। ऐसे किसी भी कारण और आरोप अवैध आचरण के बिना मताधिकार से वंचित किया जाना न्यायसंगत नहीं प्रतीत होता है। संविधान में प्रदत्त अधिकारों के अंतर्गत राजनीतिक दलों गठन होता है। राजनीतिक दलों का उद्देश्य राष्ट्र के वैभव के लिए ही होना चाहिए। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता अपने अपने दलों की विचारधारा के प्रचार प्रसार के लिए स्वतंत्र होते हैं। अनेक मुददों पर राय भिन्न हो सकती है। इन राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं, निर्वाचन आयोग और समय समय पर निर्वाचन कार्यों में लगे अधिकारियों का आचरण संसदीय परम्परा अनुसार आदर्श आचरण वाला होना चाहिए। इनमें से कोई भी यदि निष्पक्ष नही है तो उसका व्यवहार लोकतंत्र का हनन करने वाला ही कहा जाएगा।
राजनीति में असंसदीय शब्दों के प्रयोग बढ़ें हैं। अमर्यादित आचरण हो रहा है। इस पर बहस होनी चाहिए। क्या राजनीति में सस्ती लोकप्रियता के लिए अपशब्द ही मार्ग है। विगत 01 अगस्त को लोकसभा, राज्यसभा दोनों सदनों में बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर गतिरोध हुआ था। विपक्षी दलों ने इस पर हंगामा किया था। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि जनता ने आपको इतना बड़ा अवसर दिया है। सदन की गरिमा बनाए रखें। अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि अगर लोकतंत्र मजबूत करना है तो सदस्यों को प्रश्न काल के दौरान ही प्रश्न उठाने देने होंगे। इससे सरकार की जवाबदेही तय होती है। देश के लोगों की आकांक्षाएं पूरी होने दें और देश को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग दें। इसी मुद्दे पर राज्यसभा में भी हंगामा हुआ था।
उसी दिन लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि निर्वाचन आयोग वोट चोरी से शामिल है। उनके पास पुख्ता सबूत हैं। इस पर निर्वाचन आयोग ने कहा था कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के लगाए वोट चोरी संबंधी आरोप निराधार हैं। आयोग ने कहा कि इन गैर जिम्मेदाराना टिप्पणियों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए। इससे पूर्व 12 अगस्त को संसद से निर्वाचन आयोग तक प्रदर्शन के लिए निकले राहुल गांधी ने तब कहा था कि यह लड़ाई संविधान बचाने के लिए है। सही मतदाता सूची बने इसके लिए है। सत्ता पक्ष से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र प्रधान ने यह कहा था कि यह प्रदर्शन अस्थिरता पैदा करने वाला है। विपक्षी दल अराजकता पैदा करना चाहते हैं।
राहुल गांधी का आरोप है कि निर्वाचन आयोग भाजपा के लिए वोट चोरी कर रहा है। इसमें जो भी शामिल है उसे बख्शा नहीं जाएगा। राहुल गांधी के यह आरोप तब आए जब निर्वाचन आयोग ने बिहार राज्य की मतदाता सूचियां के गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के बाद सूचियों का मसौदा प्रकाशित किया था। 17 अगस्त को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विरुद्ध विपक्षी दलों के गठबंधन की मतदाता अधिकार यात्रा के बीच निर्वाचन आयोग ने अपने फैसले और प्रक्रिया को सही ठहराया था। विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज भी किया था। यह भी कहा था कि राहुल गांधी को हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी। तीसरा विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा था उनका उद्देश्य मतदाता सूचियां ठीक करना है।
उधर बिहार के सासाराम में आयोजित एक मतदाता अधिकार रैली में राहुल गांधी ने फिर कहा था कि मतदाता सूची में गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी। गरीबों की ताकत वोट है, हम चोरी नहीं होने देंगे। 18 अगस्त को हुई बिहार की मतदाता अधिकार रैली में राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, तेजस्वी यादव शामिल हुए थे। तब से लगातार विपक्षी दल चुनाव आयोग और विपक्षी दल सत्ता पक्ष पर हमलावर हैं। सभी राजनीतिज्ञों को यह बात समझनी चाहिए कि राष्ट्र सर्वोपरि है। राजनीति में मर्यादा गरिमा का स्थान सर्वोच्च होना चाहिए।