संघ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका मंच की जिलाध्यक्ष सुचिता गुप्ता ने बताया कि, विगत 50 वर्षों पूरे देश में लगभग 27 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका सेवा दे रहे है। इन 50 वर्षों में केंद्र सरकार की ओर से पारिश्रमिक मानदेय के रूप में कार्यकर्ता की मंत्र 4500 रूपये एवं सहायिका की 2500 रूपये दिया जा रहा है जो न्यूनतम वेतन से काफी कम है। इसके अलावा और की सुविधा जैसे महंगाई भत्ता, न पेंशन, न ग्रेजुएटी, न समूह बीमा, न चिकित्सा प्रतिपूर्ति और न ही पदोन्नति दी जाती है।
उन्होंने कहा हम अपनी इन बुनियादी सुविधाओं की मांग करते है तो केंद्र की सरकार राज्य सरकार पर राज्य सरकार केंद्र के कर्मचारी है कहकर पड़ला झड़ लेते है और अपनी जमीदारी से बचने की कोशिश करती है। लेकिन वर्तमान में अब केंद्र और छत्तीसगढ़ राज्य दोनों स्थान में भाजपा की सरकार है तो दिनों मिलकर हमारी मांगों को पूरा की जाए अगर नहीं तो हम उग्र आंदोलन करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।
आठ सूत्री मांगों को लेकर संघ ने सौंपा ज्ञापनदेश में 50 वर्ष से लागू आईसीडीएस योजना के तहत आंगनबाडी केन्द्रो में कार्यरत कार्यकर्ता सहायिकाओं को भी शिक्षाकर्मी, पंचायतकर्मी की तरह शासकीय करण की नीति बनाकर शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए और कार्यकर्ता को तृतीय श्रेणी और सहायिका को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया जाये।
शासकीय कर्मचारी घोषित होते तक पूरे देश में एक समान वेतन कार्यकर्ता को प्रतिमाह 26 हजार और सहायिका को 22100 रूपये (कार्यकर्ता का 85%) शीघ्र लागू किया जाए।
समाजिक सुरक्षा के रूप में सेवानिवृत्ति पर सभी कार्यकर्ता महायिकाओं को पेंशन. ग्रेज्युवेटी, समूह बीमा और कैशलेश चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
सहायिका को कार्यकर्ता के पद पर और कार्यकर्ता को सुपरवाईजर के पद पर सिधे पदोन्नति दिया जाये। जिस तरह से सन् 1998-99 में नीति बनाकर किया गया था।
सरकार द्वारा वर्तमान मे पोषण ट्रेकर. टीएचआर वितरण में फेस केप्वर. कार्यकर्ता सहायिकाओं के उपस्थिति का फेस केप्चर एफआरएस और ई- केवाईसी के माध्यम से केन्द्र के सभी कार्य को डिजिटल किया गया है, जिससे हितग्राहियो को और कार्यकर्ता सहायिकाओ को कई व्यवहारिक परेशानी और कठिनाईयो का सामना करनी पड़ रही है। इसे बंद कर आफलाईन सभी कार्य लिया जाए।
मंहगाई भत्ता. मान. उच्च न्यायालय गुजरात द्वारा ग्रेज्युवेटी और न्यूनतम वेतन के संबंध में पारित निर्णय को छत्तीसगढ़ में भी लागू किया जाए।
सेवा निवृत्ति पश्चात पेंशन ग्रेजुवेटिः 35-40 वर्ष विभाग की सेवा करने के बाद भी बुढ़ापे के समय जीवन यापन हेतु ना तो कोई पेंशन मिल रहा है और ना ही एक मुश्त राशि कार्यकर्ता को 10 हजार और सहायिका को 8 हजार मासिक पेंशन और बुढ़ापे के शेष जीवन यापन के लिए कार्यकर्ता को 5 लाख रुपये और सहायिका को 4 लाख रुपये एक मुस्त ग्रेजुवेटि राशि प्रदान किया जाए।
अनुकंपा नियुक्ति: कार्यकर्ता सहायिका के आकस्मिक मृत्यु होने पर परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दिया जाए।