स्वतंत्रता के 78वें वर्ष और जश्न-ए-अदब की 14वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में दो दिवसीय आयोजन में शास्त्रीय संगीत, ग़ज़ल, लोकसंगीत, कवि सम्मेलन, मुशायरा, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियां हो रही हैं।
आज पहले दिन अस्मिता थिएटर ग्रुप द्वारा शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के जीवन पर आधारित नाट्य प्रस्तुति ने दर्शकों को भावुक कर दिया। वहीं, विद्या शाह की ग़ज़लों और लोकधुनों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। मास्टर अधिराज चौधरी और विद्या लाल एंड ग्रुप की प्रस्तुतियां भी विशेष आकर्षण रहीं। साहित्यिक सत्रों में फरहत एहसास, मंगल नसीम, गोविंद गुलशन, सुनील पंवार, जावेद मुशिरी और अन्य साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं और विचारों से माहौल को समृद्ध किया।
जश्न-ए-अदब के संस्थापक कुंवर रंजीत चौहान ने कहा कि “वंदे मातरम का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और साहित्य की जीवंत परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है।”
महोत्सव के दूसरे दिन 24 अगस्त को अनीस सबरी एंड ग्रुप, पद्मभूषण पं. साजन मिश्रा, स्वरांश मिश्रा, पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा, प्रो. वसीम बरेलवी और प्रो. अशोक चक्रधर जैसे विख्यात कलाकारों और कवियों की प्रस्तुतियां होंगी। इनके लिए साहित्य और कला प्रेमियों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
‘वंदे मातरम’ महोत्सव ने पहले ही दिन यह संदेश दे दिया कि यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक गौरव का जीवंत उत्सव है।