उज्जैन, 29 जुलाई । मध्य प्रदेश में मंगलवार को नागपंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर शिवालयों और नाग मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई। उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर स्थित विश्व प्रसिद्ध नागचंद्रेश्वर मंदिर में रात 8 बजे तक सात लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिल रहा है। भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने के लिए लम्बी-लम्बी कतारें लगी हुई हैं।
दरअसल, नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट हर साल सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं। हर साल की तरह इस बार भी नागचन्द्रेश्वर भगवान के पट 28 जुलाई को रात्रि 12 बजे खोले गए। महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर नागचन्द्रेश्वर भगवान का पट खुलने पर श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनीत गिरी महाराज, प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके द्वारा विधि विधान से नागचंद्रेश्वर भगवान का पूजन-अर्चन किया गया।
भगवान नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के पूजन के पश्चात नागचंद्रेश्वर के शिवलिंग का पूजन और अभिषेक किया गया। पूजन-अर्चन के बाद भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए। पूजन अर्चन के बाद भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए। साल में एक बार खुलने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए सोमवार की रात से ही कतार में लगकर श्रद्धालु पट खुलने का इंतजार कर रहे थे।
महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी के पर्व पर भगवान महाकाल को शेषनाग धारण करवाया गया। कोटितीर्थ कुंड पर आशीष पुजारी द्वारा शेषनाग भगवान के पंचामृत, पूजन-अर्चन-आरती के पश्चात महाकालेश्वर भगवान को भस्मार्ती में रजत के शेषनाग धारण करवाये गये।
महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर नागचन्द्रेश्वर भगवान की मंगलवार को अपराह्न 12 बजे श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनितगिरी महाराज द्वारा पूजन किया गया। पूजन पश्चात महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर लगाये जाने वाले ध्वज का पूजन कर नवीन ध्वज लगाया गया। वहीं, शाम को भगवान महाकालेश्वर की सायं आरती के पश्चात नागचंद्रेश्वर भगवान की पूजन-आरती महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी-पुरोहित द्वारा की गई। पूजन के दौरान भी नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन का सिलसिला सतत जारी है, जो रात 12 बजे तक चलेगा।
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की जनसम्पर्क अधिकारी गौरी जोशी ने बताया कि वर्ष में एक बार खुलने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिये हर श्रद्धालु आतुर रहते है और दूर-दूर से लोग यहां दर्शन लाभ लेने के लिये आते हैं। उन्होंने बताया कि समाचार लिखे जाने तक कुल सात लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान नागचन्द्रेश्वर के दर्शन का लाभ लिया। इसके बाद रात 12 बजे नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट एक साल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर के पट बंद होने तक श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की मानी जाती है। इस अद्भुत प्रतिमा में शिवजी और माता पार्वती एक फन फैलाए हुए नाग के आसन पर विराजमान हैं। शिवजी नाग शैय्या पर लेटे हुए दिखाई देते हैं, और उनके साथ मां पार्वती तथा भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाएं भी मौजूद हैं। प्रतिमा में सप्तमुखी नाग देवता भी दर्शाए गए हैं। साथ ही शिवजी और पार्वतीजी के वाहन नंदी और सिंह भी प्रतिमा में विराजित हैं। शिवजी के गले और भुजाओं में नाग लिपटे हुए हैं, जो इस मूर्ति की विशेषता को और अधिक दिव्य बनाते हैं।
इतिहासकारों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा बोजराजा ने 1050 ईस्वी के लगभग करवाया था। बाद में 1732 ईसवी में सिंधिया राजघराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जिसमें कि इस मंदिर को भी भव्य स्वरूप प्रदान किया गया। ऐसा माना जाता है कि नागचंद्रेश्वर भगवान की यह दुर्लभ प्रतिमा नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित की गई थी।