जवाहर कला केंद्र में  शास्त्रीय संगीत संध्या की सुरमयी शुरुआत: सुर-ताल के संगम ने बांधा समां

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जिया लागे.. सुनकर श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

शास्त्रीय संगीत संध्या की शुरूआत ग्वालियर-जयपुर घराने की गायन शैली से जुड़ी गायिका शतविशा मुखर्जी ने राग केदार से की। उन्होंने ‘श्याम तोहे नजर लग जाएगी…’ और जिया लागे गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अपनी प्रस्तुति का समापन उन्होंने मधुर श्याम भजन ‘बाजे मुरलिया…’ से किया, जिसे सुनकर दर्शक भावविभोर हो उठे। तबले पर देबजीत पटितुंडी एवं हारमोनियम पर विनय मिश्रा ने भावपूर्ण संगत कर प्रस्तुति को और भी सरस बना दिया। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत अमिता अग्रवाल द्वारा सरस्वती वंदना से हुई।

देबोश्री भट्टाचार्य की ‘ख्याल गायकी’ ने बांधा समां

कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शास्त्रीय गायक देबोश्री भट्टाचार्य ने अपनी ख्याल गायन शैली से श्रोताओं को बांधे रखा। उन्होंने अपने गायन की शुरुआत शुद्ध कल्याण राग से की और बीच में ठुमरी के राग भी छेड़े, जिनकी मधुर बयार ने सभागार में एक अलग ही रंग घोल दिया। उन्होंने ‘जो भजे हरि को सदा..’ भजन से अपनी सुरमय प्रस्तुति का समापन किया। श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकार का उत्साहवर्धन किया। तबले पर अशोक मुखर्जी और हारमोनियम पर रूपाश्री भट्टाचार्य ने सुंदर संगत दी।

इस दौरान मुख्य अतिथि आईएसएस अधिकारी अजय असवाल, रोटरी क्लब के अध्यक्ष आनंद अग्रवाल, मीता माथुर, श्याम सुंदर गुप्ता, लायंस क्लब के उपाध्यक्ष आकाश गुप्ता, लायंस क्लब के सचिव महेंद्र बैराठी, कार्यक्रम संयोजक प्रकाश जैन सहित अन्य मौजूद रहे।