यह टेस्ट मैच क्रिकेट इतिहास में भारतीय जुझारूपन की एक मिसाल के तौर पर दर्ज हो गया है। हालांकि ओल्ड ट्रैफर्ड के मैदान पर भारत को अब भी पहली जीत का इंतजार है, लेकिन यह मैच टीम के संघर्ष और संयम का प्रमाण रहा।
इंग्लैंड की पहली पारी में रनों का अंबार, भारत की कमजोर शुरुआत
इस मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 669 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। इसके जवाब में भारत पहली पारी में 358 रनों पर सिमट गया और उसे 311 रनों की बढ़त से पिछड़ना पड़ा।
जब भारत दूसरी पारी खेलने उतरा, तो पहले ही ओवर में यशस्वी जायसवाल और साई सुदर्शन के विकेट गिर गए। टीम का स्कोर 0 पर 2 विकेट था, और हार का खतरा मंडरा रहा था।
राहुल और गिल की साहसिक साझेदारी
इस मुश्किल घड़ी में कप्तान शुभमन गिल और अनुभवी केएल राहुल ने मोर्चा संभाला। दोनों ने संयम से खेलते हुए 188 रनों की साझेदारी की। केएल राहुल 90 रन बनाकर दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से आउट हुए, जबकि कप्तान गिल ने 103 रन की शानदार पारी खेली, जो उनका टेस्ट करियर का नौवां शतक रहा।
सुंदर-जडेजा की अटूट साझेदारी ने कर दी वापसी पक्की
गिल के आउट होने के बाद वाशिंगटन सुंदर को नंबर-5 पर प्रमोट किया गया, जहां उन्होंने रवींद्र जडेजा के साथ मिलकर 203 रनों की नाबाद साझेदारी की। सुंदर ने क्लासिक टेस्ट पारी खेलते हुए नाबाद शतक जड़ा, जबकि जडेजा ने अपना पांचवां टेस्ट शतक पूरा कर ‘स्वोर्ड सेलिब्रेशन’ किया।
दोनों खिलाड़ियों की सूझबूझ भरी बल्लेबाजी के बाद दोनों टीमों ने आपसी सहमति से मैच ड्रॉ करने का निर्णय लिया। सूत्रों के मुताबिक, इंग्लिश कप्तान बेन स्टोक्स कुछ समय पहले ही मैच खत्म करना चाहते थे, लेकिन भारतीय प्रबंधन ने जडेजा और सुंदर का शतक पूरा होने के बाद ही ड्रॉ स्वीकार किया।