बलरामपुर : साइकिल से भारत भ्रमण कर पप्पू राम दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश, एक लाख पौधारोपण का उद्देश्य
-35 हजार किलाेमीटर की यात्रा समाप्त कर माउंट एवरेस्ट की चाेटी पर लहराएंगे तिरंगा बलरामपुर, 3 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान के नागौर जिले के खिमसर निवासी पप्पूराम चौधरी पर्यावरण संरक्षण के लिए 60 हजार किलोमीटर की साइकिल यात्रा पर अकेले निकले है। पप्पूराम राजस्थान से भारत के विभिन्न राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेश हाेते हुए साइकिल से माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचकर और वहां से एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा लहराने के मिशन पर है।इस यात्रा का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति लाेगाें काे जागरूक करना हैँ। बुधवार देर शाम पप्पूराम का छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में आगमन हुआ।
उनकी यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत साहस और संकल्प की परिचायक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रभक्ति का एक सशक्त संदेश भी देता है। हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि, यात्रा की शुरुआत 25 अप्रैल 2023 से किया था। शुरुआत में राजस्थान के सभी जिलों का भ्रमण कर पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा सहित 25 से अधिक राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश का भ्रमण कर छत्तीसगढ़ में पहुंचे।
नॉर्थ ईस्ट होते हुए एवरेस्ट की चोटी पर लहराएंगे तिरंगाउन्होंने कहा, यात्रा में उत्तरी और दक्षिण भारत कंप्लीट हो गया है। अब बस नॉर्थ ईस्ट बाकी है। इसके बाद नेपाल होते हुए माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचकर एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा लहराना है। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ के लोग बहुत सहयोगी है। यहां के लोग काफी मिलनसार है। यात्रा के दौरान लोगों ने काफी सपोर्ट किया है।
पूरे देश में एक लाख पौधारोपण का उद्देश्यउन्होंने बताया, इस यात्रा का उद्देश्य एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एंड प्रमोशन के तहत पूरे देश में एक लाख पौधारोपण का उद्देश्य है। अबतक 21 हजार से ज्यादा पौधारोपण हो गया है। जहां भी जाते है, नर्सरी से पौधा खरीदार स्कूल, कॉलेज इत्यादि जगहों पर पौधारोपण करते है, ताकि इसे उचित देख रेख मिलता रहे।
पेशे से यूट्यूबर और फ्रीलांसरउन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि, उनका एक यूट्यूब चैनल भी है। जिसमें वे जहां भी जाते है, उसका व्लाॅग बनकर डालते है, साथ ही फ्रीलांसर के तहत वीडियो एडिटिंग, ग्राफिक्स डिजाइनिंग इत्यादि से जोभी आय अर्जित होता है, उसे यात्रा में लगाते है। अबतक 799 दिन यानी दो साल दो महीने और सात दिन बीत चुके है। यात्रा की शुरुआत से अबतक कुल 7 लाख रुपए खर्च हो चुके है।
आधुनिक साइकिल में है रहने और खाने की पूरी व्यवस्थाउन्होंने बताया, साइकिल मारवाड़ी समाज के द्वारा स्पॉन्सर किया गया है। इससे पहले जाे साइकिल था वाे खराब हाे चूका था।चार जाेड़ी टायर बदलवाने के बाद समाज ने 25 हजार रूपये की इस आधुनिक साइकिल काे स्पाॅन्सर किया है। साइकिल में आगे पंक्चर किट, पीछे करियर के बगल में खाना बनाने के लिए बर्तन, डॉक्यूमेंट्स, कपड़े और कैंपिंग का समान लाेड है।यात्रा के दाैरान यदि भाेजन की व्यवस्था न मिले तब स्वंय खाना बनाकर खाते है।साइकिल में टेंट की भी व्यवस्था थी लेकिन जरूरत नहीं पड़ने के कारण उसे पीछे छाेड़ आया हूं, आगे नॉर्थ ईस्ट का सफर तय करने में जरूरत पड़ने पर उसे खरीद लेंगे। आगे उन्हाेंने बताया, यह साइकिल पूरी तरह से आधुनिक है। जिससे आम साइकिल की तरह थकान कम महसूस होता है। साइकिल में गेयर हाेने के कारण थकान कम हाेता है। पूरी यात्रा के दाैरण 60 हजार किमी का सफर तय करना है। जिसमें 35 हजार किमी तय कर चुका हूं।